Book Title: Nandanvan Kalpataru 2018 06 SrNo 40
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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सिरिसाहिन्तो तह किंसुआहि बउला य महमहिअ गन्धो । देसत्तो गामाओ नयराउ वि कं न आणेइ ||२४|| पत्थाहिन्तो रामेसुन्तो देवेसराहि वि अणूणो । धारा - हरस्स मज्झे तओ गओ सज्जिअम्मि निवो ॥ २५ ॥ रेल्लन्ता वण-भागा तओ पलोट्टा जवा जलाणोघा । वामा दाहिणाओ समुहतो पच्छिमहिन्तो ॥ २६ ॥ वेइअ-मयर- मुहाहि अ आ-मूल- सिरं च फलिह-थम्भाओ । वारोत्तरंगयाओ नीहरिआ वारी - धाराओ ||२७||
पंचालिआहि मुक्कं कन्नेसुन्तो जलं मुहासुन्तो । हत्थेहिन्तो चरणाहिन्तो वच्छाहि उअरेहि ||२८||
वेएणं सम-विसमे पूरन्तेहिं जलेहि कूवेहि । खंधेसु तुसार-मिसा तरूहिँ पुलउ व्व पायडिओ ॥२९॥ दट्टं तं छणमच्छीहिँ जणो उज्जाण-भूमिसु अमन्तो । तत्थ गिरीसु तरूओ गओ गिरीओ तरूसुं च ॥३०॥ पक्खेसु चउसु दारेसु चऊसु चऊहि सालभंजीहि । चउहि करएहि तुल्लं पलोट्टिअं वारिधारी ॥ ३१ ॥ थंभ-सिहरादि चउओ चऊओं वेई मुहादि सिंचीअ । कील - गिरी कील-तरू जल- - पूरो उरू अमन्द - गई ||३२|| साऊ जलोह-पन्ती जइ एसा किं दहिं महुं किं वा । इअ नम्म-पडू जल-पाण - रई लवइ म्ह विड- लोओ ॥३३॥ मयणग्गउ तह विरहग्गओ वि संधुक्किआ चिरं जेहि । अइ-मलय-वायओ वायउ व्व हुआ जल-प्पवा ||३४|| जल अग्गणो व्व जल - वाउणो वि विरहीण साहवो नासि । अह वा विहिम्मि वामे साहू वि न साहुणो हुन्ति ॥ ३५ ॥ कीला - गिरिणो साहउ कीला - तरुणो वि साहओ जाया । नीक- पवाहेहि जओ गिरी तरू वा जल-सलोणा ॥ ३६ ॥ उच्चिणिअ बहू तरुणो काउं गिरिणो व्व बहु- कुसुम-रासी । गिरिणो तरुणो अ तले कुसुमाभरणाइँ रइआई ||३७|
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