Book Title: Nandanvan Kalpataru 2018 06 SrNo 40
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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वेव्व सहि चिट्ठसु हला निसीद मामि रम जासि कत्थ हले । दे पसिअ किमसि रुट्ठा हुं गिण्हसु कणय - भायणयं ॥१०॥ हुं तुह पिओ न आओ हुं किं तेणज्ज सो हु अन्न रओ । तुमयं खुमाणइत्ता तस्स हु जुग्गा सि सा खु न तं ॥११॥ सहि वव्वरो खु अह धीवरो हु एसो खु तुज्झ ऊ रमणो । ऊ इअ हसेइ लोओ इमम्मि ऊ किं मए भणिअं ॥ १२ ॥ ऊ अच्छरा मह सही थू रे निक्किट्ठ कलह - सील अरे । दासो सि इमाइ हरे सढो सि ओ ओ किमसि दिट्ठो ॥१३॥ अव्वो नओ तुह पिओ अव्वो तम्मेसि कीस किं एसो । अव्वो अन्नासत्तो अव्वो तुझेरिस माणो ||१४|| अव्वो पिअस्स समओ अव्वो सो एइ रूसणो अव्वो । अव्वो कट्टं अव्वो किं एसो सहि मए वरिओ ॥ १५॥ अइ एस इ - घराओ वणे मिलाणा सि दइअ - दरवलिआ । मुणिमो वणे न मुणिमो तं न वणे कहइ न जमङ्गं ॥१६॥ दासो वणे न मुच्चइ मणे पिओ तुज्झ मुच्चइ स अम्मो । पत्तो खु अप्पणो च्चिअ तए सयं चेअ निउणा ॥१७॥ पाडिक्कं दइआओ ताण वयंसीओं पाडिएकं च । पत्तेअं मित्ताइं उअ एसो एइ भासन्तो ॥ १८ ॥ देक्ख तुहेसो दइओ कहमिहरा पुलइआ सिदट्टुमिमं । भणिमो न वयमिअरहा मुणिअमिमं एक्कसरिअं ति ॥१९॥ मा तम्म मोरउल्ला दर- विअसिअ - बंधुजीव - कुसुमोट्ठ | अणुसोचसि धुत्तमिमं सरल - सहावे किणो रमणं ॥२०॥ वार-विलया इ एआ गिम्ह - सुहं माणि पयट्टा 1 इअ जं वितं पि लविराओं पिअन्ति र पिक्क - दक्ख - रसं ॥२१॥ एक्वेक्कमेस स महू अम्बो वि हु एक्कमेक्कमेसो सो । लोआ हणिही पहिआऽलीण रवेणेममाह वर्णं ॥२२॥ खज्जूरेहि पिआलेहिं फणसेहिँ अवि दंसिअ - फलत्तो । हरिसाओ दूराउ वि उज्जाणमिमं न को सिहइ ||२३||
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