Book Title: Nandanvan Kalpataru 2005 00 SrNo 14
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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भावाले ऋणाभाय नमो नमः
आचार्यविजयहेमचन्द्रसूरिः
(द्रुतविलम्बितवृत्तम्)
कूतजगज्जनमङ्गलशर्मणे, त्रिभुवनार्चितपादसरोरुहे ।
प्रथमराड्-मुनि-तीर्थक राय ते, भगवते ऋषभाय नमो नमः ॥१॥
भवति नैव यदङ्घिपयोजयोविरचिता प्रणतिर्विफला कदा ।
नृपतिनाभिकुलाभरणाय ते भगवते ऋषभाय नमो नमः ॥२॥
कचभरो हि निजांसलुठन् हरेविनतितः खलु येन न लुञ्चितः ।।
विनतवत्सलतादिगुणाय ते भगवते ऋषभाय नमो नमः ॥३॥
विनमिना नमिना च निरन्तरं यदनघाङ्ग्रियुगं समुपासितं ।
सकलकामितकामघटाय ते, भगवते ऋषभाय नमो नमः ॥४॥
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