Book Title: Nabhakraj Charitra
Author(s): Merutungacharya, Gunsundarvijay
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 14
________________ १३ श्री वर्तमान शासनाधिपति श्री महावीर स्वामिने नमः । श्रीमद् विजय प्रेम-भुवनभानु - जयघोष - जगच्चंद्रसूरिवरेभ्यो नमः । श्रीमद् अंचल - गच्छेश मेरुतुंगसूरिवर विरचित श्री नाभाकराज चरित्र ग्रंथ रचयिता का संक्षिप्त परिचय जन्म वि.सं. १४०३ वि.सं. १४२६ सुरिपद ग्रंथरचना वि.सं. १४६४ - - मुनि दीक्षा - वि.सं. १४१० स्वर्गवास वि.सं. १४७३ आपका जन्म मारवाड़ ( राजस्थान) में नाणीगाँव में हुआ था । माता श्रीमती नालदेवी, पिताजी प्राग्वाट वंशीय श्रेष्ठी वयरसिंह वोरा । सुस्वप्न - सूचित - सात वर्ष की आयु में दीक्षा बाद व्याकरण - साहित्य-छंदअलंकार-अष्टांगयोग- मंत्र - आम्नाय - आदि में निपुणता । - यवनराज को अहिंसाधर्म का प्रतिबोध किया । - लोलाडा नगर में राठोड वंशीय फणगर मेघराज सहित १०० मनुष्यों को प्रतिबोध किया था । - सूरिजी को लोलाड़ा नगर में सर्पदंश हुआ था । श्री जीरावल्ली पार्श्वनाथ भगवंत के महामंत्र के द्वारा उन्होंने उस विष का प्रभाव दूर किया था । विष अमृतरूप में परिणत हुआ । उसी नगर के मुख्य द्वार के निकट के तेरह हाथ लंबे अजगर के द्वारा हो रही तकलीफ़ को सूरिजी ने दूर की थी । Jain Education International - - पाटण के निकट यवनराज को प्रतिबोधित कर हिंसा का त्याग करने को समझाया था । - पू. सूरिजी के जीवन के ऐसे अनेक चमत्कारपूर्ण प्रभावों का वर्णन पू. मुनिश्री कलाप्रभसागरजी म. ने किया है । ( इति लेखक परिचय) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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