Book Title: Nabhakraj Charitra
Author(s): Merutungacharya, Gunsundarvijay
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 63
________________ ६२ - आंगी में से दूसरे दिन चांदी का वरख और बादला का उतारा (WASTE) बराबर मिले ऐसी व्यवस्था करना । पेढी में जो जो आवक (Income) हो इसकी व्यवस्थित रसीद बनाने की व्यवस्था करनी, यह सब रकम बेन्क में एक सप्ताह में या इसके पहले अवश्य जमा करवाना । यह रकम में से कोई भी खर्च सीधा (DIRECT) नहीं ही करना। पेढी के दिन-ब-दिन रोकड खर्च करने के लिए रोकड रकम बेन्क एकाउन्टस में से ही अलग प्राप्त करना । दो नंबर के पैसे कभी कभी अच्छे सज्जन को भी भूल में डाल सकते हैं । मंदिर आदि का भंडार व्यवस्थित (मुद्रा) सील-तालावाला रखना, इसमें कोइ छेडछाड न हो सके ऐसी सावधानी रखनी। भंडार पांच सज्जनो की उपस्थिति में खोलना, रकम बराबर गिनती करनी, रसीद बनाकर जमा करनी, बेन्क में रखनी, इसमें से सीधा खर्च कभी नहीं करना ! 'पैसा अपने हाथ से ही भंडार में डालो ।' ऐसा बोर्ड मंदिर-उपाश्रय में रखना । कोई व्यक्ति भूल से ऐसे ही भंडार आदि पर पैसे रखकर चले गए हो तो दूसरा व्यक्ति पैसा भंडार में रखे यह खूब औचित्यपूर्ण है । "साधु-साध्वी बिमारीवाले हो गए हैं, इनको अस्पताल में दाखिल किए गए हैं, इनकी सारवार के लिए रकम दो ।" ऐसा झूठा वचन फोन या रुबरु कहकर पैसे की चोरी करनेवाले से सावधान रहना ! कोई भी चीज की खरीदी बिना, कई दफे बोगस बिल पेढी में आ जाते है । इस से सावधान ! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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