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विश्वसेन राजा ऐरा देवी रानी, जिनमाता जन्म्यो श्री शान्तिनाथ स्वामी ।
शान्तिनाथ स्वामी नमो जिन ध्याइये, विकलप मेटि शांत रस पाइये ॥१६॥ सूरसेन राजा कांता देवी रानी, जिनमाता जन्म्यो श्री कुंथुनाथ स्वामी ।
कुंथुनाथ स्वामी के चरणां मै बन्दू, चिर संचित सब पाप निकन्दू ॥१७॥ सदर्शन राजा मित्रसेना रानी, जिनमाता जन्म्यो श्री अरनाथ स्वामी ।
___ अरनाथ स्वामी ने अरि सब जीते, कर्म समाधि सुख मांहि लीधे ॥१८॥ कुम्भ सु राजा पद्मावती रानी, जिनमाता जन्म्यो श्री मल्लिनाथ स्वामी ।
मल्लिनाथ स्वामी जी बालब्रह्मचारी, पुरुष शिरोमनि आनन्द बलधारी ॥१६॥ सुमित्र राजा सोमा देवी रानी, जिनमाता जन्म्यो मुनि सुब्रतनाथ स्वामी।
___ मुनि सुव्रतनाथ स्वामी मनसूधे जी ध्याइये; संसार सागर ते पार जु पाइये ॥20॥ विजय सेन राजा विप्रा देवी रानी, जिनमाता जन्म्यो श्री नमिनाथ स्वामी।
नमिनाथ स्वामी के चरणां पूजे, नव अविकारी नव लाहो लीजे ॥21॥ समुद्र विजय राजा शिवादेवी रानी, जिनमाता जन्म्यो श्री नेमिनाथ स्वामी।
नेमिनाथ स्वामी जी के नव अविकारी, सहस्र सरोवर सखी राजुल नारी ॥22॥ अश्वसेन राजा वामा देवी रानी, जिनमाता जन्म्यो श्री पारशनाथ स्वामी।
पारशनाथ स्वामी का बिम्ब सोहे मुलाताना,मिथ्या रजनी दूर करवे को भाना॥23॥ सिद्धार्थ राजा त्रिशाला देवी रानो, जिनमाता जन्म्यो श्री महावीर स्वामी ।
___ महावीर स्वामी जी ना धर्म पालो, मोक्षमार्ग जो सीधा भालो ॥24॥ ये चौवीस जिनवर करूं परिणामा, ये चौबीस जिन उत्तम ठामा।
ये चौबीस जिन केवल ज्ञाना, ये चौबीस पहुँचे निर्वाना ॥25॥ 1 बधावा
इसमे पाच वधावा है जिनमे भगवान की पूजा एव भक्ति करने की प्रेरणा दी गयी है। मुलतान नगर मे पार्श्वनाथ स्वामी की मूलनायक प्रतिमा की अधिकाश बधावो मे स्तुति की गयी है। इससे स्पष्ट है कि अमोलका बाई भक्त कवयित्री थी। वे मुलतान के दिगम्बर जैन मन्दिर मे विराजमान पार्श्वनाथ स्वामी की पूर्ण उपासिका थी तथा उन्हें मूर्ति के अतिशय मे विश्वास था।
(1) व्यन्तर भवना ज्योतिषी, वैमानिक तिर्यंचो जिनवर पूर्जे जी भावसू।
__अष्टापद आदिनाथा पूजसा भावसू, चंपापुर वासुपूज्य देवा सु भावसू। सम्मेदशिखर जिन पूजसां, तहां बीस तीर्थङ्कर पूजू भावसू ॥१॥
गिरनार पै नेमिनाथ पूजसां, पावापुर महावीर पूजू भावसू । मुलतान श्री पारशनाथ पूजसां, इह देव दिगम्बर पूजू जी भावसू ॥२॥
• मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक मे
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