Book Title: Multan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Multan Digambar Jain Samaj

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Page 194
________________ नौलखा परिवार श्री बिहारीलालजी के श्री मूलचन्द एव श्री देवीदास दो पुत्र थे । जिनमे श्री मूलचन्दजी के पदमचन्द, न्यामतराम एव सुखानन्द तीन पुत्र थे । सुखानन्दजी का परिचय दिल्ली खण्ड मे दिया है । देवीदास के उत्तम चन्द, जोधाराम दो पुत्र थे जिनके परिवारो का परिचय नीचे दिया जा रहा है । पदमचन्द पदमचन्द का परिचय पहले विशिष्ट व्यक्ति परिच्छेद मे दिया जा चुका है । उनके दो पुत्र है - 1. मानकचन्द - जिनका परिचय निम्न प्रकार है । 2 जयकुमार -- जिनका परिचय खण्ड दो (दिल्ली ) मे दिया जावेगा । श्री माणकचन्दजी श्री माणकचन्दजी श्री पदमचन्द नौलखा के पुत्र है । आपका जन्म मुलतान मे हुआ था । स्कूली शिक्षा के वाद आप व्यवसाय करने लगे । व्यवसाय के प्रारम्भ के कुछ ही दिनो बाद आप अपने पिता श्री के साथ कोटा बिलोचिस्तान, वर्तमान पाकिस्तान मे व्यवसाय हेतु चले गये । सन् 1932 मे बहुत वडे भूकम्प से जब कोयटा विध्वस हुआ तो वहा आपके पिता श्री की मृत्यु हो गई, बाकी सारे परिवार को लेकर वापस मुलतान आ गये और वहा आकर व्यवसाय करने लगे । पाकिस्तान बनने के बाद आप जयपुर मे आकर रहने लगे । आपकी धर्मपत्नी का नाम कस्तूरी देवी तथा आपके वीरकुमार, जसपाल, किशनचन्द तीन पुत्र एव चार लड़किया है । आपकी फर्म का नाम -- नौलखा प्लास्टिक इन्डस्ट्री है । निवास -- हल्दियो का रास्ता, जयपुर । श्री माणकचन्जी के पुत्र श्री वीरकुमारजी माणकचन्दजी के प्रथम पुत्र है । आजकल दिल्ली मे व्यवसाय करते एव रहते हैं । आपकी धर्मपत्नी का नाम उर्मिला देवी है । आपके तीन पुत्र एव दो पुत्रिया हैं । 152] 'मुलतान दिगम्बर जैन समाज इतिहास के आलोक में

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