________________
श्री छोगमलजो सिंगवी
श्री छोगमल जी सिंगवी अपने पिता श्री घनश्याम दासजी सिगवी के समान धर्मात्मा एव निष्ठावान श्रावक थे। जहां आपने अपने व्यवसाय में काफी उन्नति की वहा आप धर्म साधन के प्रति भी जागरूक एव श्रावक के षटकर्म पालन मे सदा ही अग्रणी रहे । आप नित्य पूजन करते थे। देव पूजन मे अति अनुराग होने के कारण, आपने सवत् 1955 माघ शुक्ला 12 को भगवान आदिनाथ एव चन्द्रप्रभु स्वामी की प्रतिमा प्रतिष्ठित कराकर मुलतान लाये | भगवान ऋषभदेव की मूर्ति नीचे मूल वेदी मे एवं चद्रप्रभु स्वामी की मूर्ति ऊपर वेदी मे विराजमान की । सिद्धान्त के अच्छे ज्ञाता होने से आप नित्य सभा मे शास्त्र प्रवचन भी किया करते थे । आप धार्मिक कार्यों में उत्साह पूर्वक मुक्त हस्त से दान देते एवं दीन दुखियो को भी गुप्त सहायता देकर उनकी हर तरह से मदद करते । आप समाज में प्रतिभाशाली एव प्रतिष्ठित व्यक्ति थे । आपका व्यवसाय हाथी दातके चूड़ों का था जो शहर भर में प्रसिद्ध एव उच्च कोटि का था ।
श्री छोगमल सिंगवी
आपके श्री गुमानीचदजी, श्री नेमीचदजी, श्री बुद्धसेन जी तीन पुत्र एव एक पुनी थीं । आप विशेष धर्म साधन हेतु दशलक्षण पर्व पर डेरागाजीखान गये हुए थे, जहा आकस्मिक बीमारी के कारण असमय मे ही आपका देहावसान हो गया । आप समाज का पूरा ध्यान रखते थे । आपकी छत्रछाया में समाज अपने आपको गौरवान्वित समझता था । OOCO
श्री राजाराम बगवानी
श्री राजारामजी बगवानी ने ओसवाल दिगम्बर जैन परिवार में जन्म लिया था तथा वचपन से ही अच्छे सस्कारो में पले । प्रति दिन देव दर्शन स्वाध्याय आदि बाल्य अवस्था से ही करते थे । स्वाध्याय के बल पर ही उन्हें शास्त्रो का अच्छा अभ्यास हो गया । भाषा शैली एव स्मरणशक्ति अच्छी थी । युवा अवस्था में ही उनकी विद्वानो मे गिनती होने लगी और वे प्रति दिन शास्त्र प्रवचन करने लगे ।
श्री राजाराम बगवानी
44
वगवानीजी को मत्रो आदि का भी अच्छा ज्ञान था । उन्होने कई लोगो को चमत्कार भी दिखाये । एक वार मुलतान शहर में प्लेग फैल गया था, पूरा शहर इस बीमारी से आक्रान्त हो गया । लोग शहर के बाहर जाकर रहने लगे। मगर राजारामजी ने अपने मत्र द्वारा ऐसा चमत्कार दिखाया कि महामारी का अभाव हो गया और मुलतान दिगम्बर जैन समाज इतिहास के आलोक मे