Book Title: Multan Digambar Jain Samaj Itihas ke Alok me
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Multan Digambar Jain Samaj

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Page 142
________________ इस प्रकार समस्त मुलतान दिगम्बर जैन समाज जयपर एव दिल्ली के पुरुष एक महिला समाज ने सामूहिक एव व्यक्तिगत रूप से आर्थिक सहयोग देकर इस मन्दिर के निर्माण मे पूर्ण सहयोग दिया है तथा विशेष रूप से सहयोग देकर जो मन्दिर निर्माण मे योग दिया वह तो सराहनीय है ही किन्तु जिन महानुभावो ने इस मन्दिर के निर्माण मे अपने जीवन के बहुमूल्य भाग का अधिक समय देकर इस मन्दिर निर्माण के विषय सम्बन्धी सभी कार्यो को पूरा करते हुए तथा सभी कठिनाइयो को पार करते हुए इसको सुन्दर रूप देकर तैयार कराकर समाज को समर्पित किया उनका विशेष जोवन परिचय देना मै यहाँ उचित समझता हू । अत इन विशेष महानुभावो मे थे सर्व प्रथम श्री कवरभानजी एव उनके सुपुत्र श्री आशानन्दजी सिंगवी जिन्होने इस मन्दिर हेतु अथक प्रयत्न करके सरकार से जमीन आवटित कराई, तथा आज से 26 वर्ष पहले इस मन्दिर का शिलान्यास कराके निर्माण कार्य का शुभारम्भ कराया। __दूसरे महानुभाव है श्री न्यामतरामजी जिन्होने प्रारम्भ से आज तक इतने लम्बे समय तक अपने व्यवसाय, घर वार आदि की ओर अधिक ध्यान न देते हए मन्दिर निर्माण सम्बन्धी योजनाओ को कार्यान्वित कराने तथा आने वाली सब कठिनाइयो को अपने कुशल नेतृत्व से पार कराने मे पूर्ण सहयोग देकर इस योजना को सफलीभूत किया । तीसरे व्यक्ति है श्री जयकमा रजी जिन्होने अपनी युवावस्था से ही अपने काम धन्धे की परवाह न करके अपने परिवार की इच्छाओ को एक तरफ रखते हुए 26 वर्ष तक इस मन्दिर निर्माण के सदर्भ कार्यो मे सबसे अधिक समय देकर, धन एकत्रित करने, निर्माण कार्य करवाने मे इस विशाल एन कठिन कार्य को पूर्ण कराया । यह उनकी कुशल दक्षता का ही परिणाम है। चौथे महानुभाव है श्री वलभद्र कुमारजी जो अपनी युवावस्था से ही धार्मिक एन सामाजिक कार्यो मे रुचि लेते हुए मन्दिर निर्माण कार्य मे अपने साथियो के साथ पूर्ण सहयोग देकर अपनी कुशाग्र बुद्धि एन विशेष कार्य मे तन, मन, धन से सहयोग देकर इसे मूर्त रूप देने मे सहयोग दिया। अत इन चारो महानुभावो के त्याग एव तपस्या को देखते हुए इनका जोवन परिचय यहाँ दिया जा रहा है । 102 ] • मुजान दिगम्बर जैन ममाज-इतिहास के आलोक मे

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