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था-जैसे, प्रात काल 7 से 11 बजे तक सामूहिक पूजन, एक बजे तक शास्त्र प्रवचन, सायकाल आरती भक्ति आदि तथा बाहर से पधारे हुए विद्वानो द्वारा सार्वजनिक सभा में व्याख्यान एव सास्कृतिक कार्यक्रम । इस प्रकार प्रात 7 से रात्रि 11 बजे तक क्रमश: कार्यक्रम चलते थे।
युवको को भी धार्मिक कार्यों में विशेष लगन एव उत्साह था। उनकी सगीत मण्डली बहुत अधिक विख्यात थी। रात्रि को सास्कृतिक कार्यक्रमो से एव धार्मिक जैन कथाओं के आधार पर नाटक आदि खेलकर अच्छी धार्मिक प्रभावना करते थे। तथा दशलक्षण पर्व के अन्त मे-नगर कीर्तन (शोभायात्रा) बडे उत्साह एव धूमधाम के साथ निकाली जाती थी, जिसमें विशालकाय कृत्रिम हाथी एव तीन मजिला विशाल एव मनोरम रथ अन्य लवाजमा आदि जो जलस के विशेष आवर्पण के केन्द्र होते थे जिससे जलस की विशेष शोभा बढती थी तथा भजन मण्डलियो द्वारा सगीत के माध्यम से जन धर्म का अच्छा प्रचार होता था। प्रत्येक वर्ष दशलक्षण पर्व पर वाहर से किसी न किसी प्रतिष्ठित विद्वान को अवश्य बुलाया जाता था, जिनकेप्र वचनो एव उपदेशो द्वारा महती धर्म प्रभावना होती थी।
डरागाजीखान की भजन मण्डली ने अपने सुन्दर कार्यक्रमो से अन्य शहरो मे भी अच्छी ख्याति प्राप्त करली थी, फलस्वरूप आमन्त्रण मिलने पर फिरोजपुर, लाहौर, शिमला, देहली, सहारनपुर आदि नगरो मे समय-समय पर जाकर अपने सास्कृतिक कार्यक्रमो के माध्यम से अच्छी धर्म प्रभावना करती थी। डेरागाजीखान की दिगम्बर जैन समाज
पजाब, सिन्ध, बलचिस्तान एवं सीमाप्रात जैसे प्रदेशो मे मुलतान, डेरागाजीखान, लाहौर एन रावलपिंडी को छोडकर अन्यत्र कही भी दिगम्बर जैन समाज एका दिगम्बर जैन मन्दिर नहीं थे। सभी प्रदेशो मे मुसलमानो का वहमत था तथा हिन्दू भाई भी अल्पमत मे थे, फिर भी डेरागाजीखान के दिगम्बर जैन भाइयों के खानपान एक रहन सहन पर उन लोगो का कोई प्रभाव नही पड़ा तथा उनका जीवन विशुद्ध जैन धर्म के अनुरूप था। समाज मे रात्रि भोजन का बिलकुल भी प्रचलन नही था तथा वडे तो क्या वच्चे तक भी रात्रि भोजन नही करते थे। कन्दमल आदि अभक्ष्य भक्षण से वे कोसो दूर रहते थे, तथा धूम्रपान आदि नशीली चीजो के सेवन की कोई भी प्रवृति नहीं थी।
डेरागाजीखान मे लगभग 40 ओसवाल दिगम्बर जैन परिवार थे, वे प्राय सभी व्यापारी वर्ग के थे, तथा वहा उनका अच्छा व्यवसाय था । उन परिवारो में श्री मोतीरामजी सिंगवी, श्री भोजारामजो पारख, श्री शानरामजी सिंगवी, श्री जस्सूरामजी सिंगवी, श्री रेमलदासजी गोलेछा, श्री उदयकरणजी, श्री कर्मचन्दजी सिंगवी, श्री गेला. रामजी गोलेछा, श्री रामचन्द्रजी सिगवी, श्री सन्तोरामजी सिंगवी आदि परिवार प्रमुख थे।
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• मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक मे,