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___ सन् 1964 मे 103 मुनि श्री विद्यानंदजी महाराज, आचार्य श्री देशभूपणजी महाराज के सघ के साथ जयपुर पधारे, उस समय श्री दिगम्बर जैन मन्दिर आदर्शनगर में मुनि श्री विद्यानदजी महाराज का श्रीमान् पडित शिरोमणी श्री चैनसुखदासजी के साथ समागम हुआ, तथा आपस मे धार्मिक चर्चा वार्ता हुई । फलस्वरूप दशलक्षण पर्व के अवसर पर मुनि श्री विद्यानन्दजी के दिगम्बर जैन मन्दिर आदर्शनगर के प्रांगण मे प्रवचनो के आयोजन सर्वप्रथम सार्वजनिक रूप से किए गये, जिसमे हजारो की संख्या में जैन अजैन, सभी वधुओ ने धर्म लाभ उठाया।
सन् 1964 मे श्री टोडरमल स्मारक भवन के शिलान्यास हेतु श्री पूरनचन्दजी गोदीका आदि सघ के रूप मे पूज्य श्री कानजी स्वामी को जयपुर पधारने के लिये
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श्री 108 मुनि विद्यानन्दजी महाराज (आदर्शनगर मन्दिर मे श्रीमान् प० चैनसुखदासजी एव मुलतान दि० जैन
समाज के सदस्य श्री आसानन्दजी आदि से विचार-विमर्श करते हुए) निवेदन करने सोनगढ गये, उस समय मुलतान दिगम्बर जैन समाज के महानुभाव भी एक पूरा बस लेकर उनके साथ गये तथा आध्यात्मिक सत पूज्य श्री कानजी स्वामी जव जयपुर पचार तो उस समय आदर्शनगर दिगम्बर जैन मन्दिर के प्रागण मे विशाल पाडाल बनाकर उनके प्रवचनो का आयोजन किया गया, इससे वहुत बडी संख्या मे लोगो ने उनकी अध्यात्म सस परिपूर्ण अमृत वाणी (धारा) का रसास्वादन किया।
इस प्रकार सन् 1971 मे जब श्री टोडरमल स्मारक भवन वापू नगर जयपुर में
• मुलतान दिगम्बर जैन समाज-इतिहास के आलोक मे
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