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२६ : मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन
इसी तरह मूलाचार की ५१२, ५१७, १२५, ५१४, ५२५, ५२६, ५३०, ५३१, वीं गाथाएँ आवश्यकनियुक्ति में क्रमशः १००२, ८७, ६६६, ९२६, ७९७, ७९८, ७९९, ८०१ पर समान या कुछ पाठभेद के साथ उपलब्ध है। किन्तु मूलाचार की गाथा संख्या ७।२५ का उत्तरार्ध आवश्यक नियुक्ति को गाथा संख्या ७९८ के उत्तरार्ध से नहीं मिलता, क्योंकि यह कुन्दकुन्द के नियमसार गाथा संख्या १२८ के पूर्वार्ध के समान है। मूलाचार की ७।२४,२५ वीं गाथाएँ नियमसार में १२७-१२६ पर हैं। पं० सुखलाल जी सघवी ने 'सामायिक प्रतिक्रमण- रहस्य' नामक अपनी पुस्तक में तथा दर्शन और चिन्तन ग्रन्थ के खण्ड २ पृष्ठ २०३ में मूलाचार के षडावश्यकाधिकार तथा आवश्यकनियुक्ति की गाथाओं की परस्पर में समानता की सूची इस प्रकार दी है
मूलाचार-५०५, ५२४, ५३८, ५१०, ५६०, ५६१, ५६३, ५६४, ५६५, ५६६, ५६७, ५६८, ५६९, ५७६, ५७७, ५७८, ५९२, ५९३, ५९४, ५९५, ५९६, ५९७, ५३९, ५४०, ५४१, ५४४, ५४६, ५४९, ५५०, ५५१, ५५२, ५५३, ५५५, ५५६, ५५७, ५५८, ५५९, ५९९, ६००, ६०१, ६०३, ६०४, ६०५, ६०६, ६०७, ६०८, ६१०, ६१२, ६१३, ६१४, ६१५, ६१७, ६२१, ६२६, ६३२, ६३३, ६४४, ६४१, ६४२, ६४३, ६४५, ६४८, ६५६, ६६८, ६६९, ६७१, ६७४, ६७५, ६७६, ६७७ ।
आवश्यकनियुक्ति-९२१, (१४९ भाष्य), ९५४, १०६९, १०७६, १०७७, १०६९, १०९३, १०९४, १०९५, १०९६, १०९७, ११०२, ११०३, १२१७, ११०५, ११०७, ११९१, ११०६, ११९३, ११९८, (लोगस्त १,७) १०५८, १०५७, १९५, १९७, १९९, २०१, २०२, १०५९, १०६०, १०६२, १०६१,१०६३, १०६४, १०६५,१०६६, १२००, १२०१, १२०२, १२०७, १२०८, १२०९, १२१०, १२११, १२१२, १२२५, १२३३, १२४७, १२३१, १२३२, १२५०, १२४३, १२४४, (२६३ भाष्य), १५१५ (२४८२४९ भाष्य), २५०, २५१, १५८९, १४४७, १३५८, १५४६, १५४७, १५४१, १४७९, १४९८, १४९०, १४९२ ।। मूलाचार और पिण्डनियुक्ति
आवश्यकनियुक्ति के अतिरिक्त पिण्डनियुक्ति (आ० भद्रबाहु विरचित) और मूलाचार में परस्पर कुछ समान गाथायें थोड़े-बहुत पाठ-भेद के साथ पाई जाती हैं । जैसेमूलाचार घादीदणिमित्त आजीवे वणिवगे य तेगिछे ।
कोधी माणी मायी लोही य हवंति दस एदे ।।६।२६।। पुवी पच्छा संथुदि विज्जामंते य चुण्णजोगे य । उप्पादणा य दोसो सोलसमो मूलकम्मे य ।।६।२७।।
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