Book Title: Mulachar ka Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Fulchandra Jain Shastri
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 588
________________ सहायक-ग्रन्थ-सूची : ५३७ बृहत् कल्पसूत्र (भाग १-४)-आ० भद्रबाहु, सं०-मुनि चतुर्विजय व पुण्यविजय, ___ आत्मानंद जैन ग्रंथ रत्नाकर, भावनगर, १९३६. बृहद् द्रव्यसंग्रह--ब्रह्मदेव त वृत्ति, अनु० पं० मनोहरलाल शास्त्री, परमश्रुत प्रभावक मण्डल, अगास, १९६६. भगवद् गीता-सं० कृष्णपंत शास्त्री, अच्युत ग्रन्थमाला कार्यालय, काशी वि० सं० १९९८. भगवान् महावीर और उनका तत्त्वदर्शन-सं० आचार्य श्री देशभूषण जी. भगवतो आराधना-आचार्य शिवार्य, अपराजितसूरि कृत विजयोदया टीका, पं० आशाधरकृत मूलाराधना दर्पण और अमितगति कृत संस्कृत श्लोक सहित, हिन्दी अनु०-५० जिनदास पार्श्वनाथ फड़कुले, प्रका०-स्वामी देवेन्द्र कोति जैन ग्रन्थमाला, बलात्कारगण जैन पब्लिकेशन सोसा यटी कारंजा, १९३५. भगवती आराधना-संपा०-सखाराम दोषी, सोलापुर, १९३५. भगवती आराधना-भाग १-२, सं०-अनु०-५० कैलाशचन्द्र शास्त्री, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर, १९७८. भगवती सूत्र (भाग १-७)-व्याख्या-घासीलाल जी महाराज, अ० भा० श्वे० स्था० जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, १९६१-६४. भगवतीसूत्र (व्याख्या प्रज्ञप्ति)-अभयदेवसूरि वृत्ति सहित, ऋ० के० जैन श्वे० ___ संस्था, रतलाम, १९३७. भगवई-जैन विश्व भारती, लाडनू, १९७४. भद्रबाहु क्रियाकोश-भद्रबाह, भारतीय संस्कृति के विकास में जैन-वाङमय का अवदान-डॉ० नेमिचन्द्र ___ शास्त्री, प्रका०-अ० भा० दि० जैन विद्वत्परिषद्. सागर, १९८२. भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान-डा० हीरालाल जैन, म० प्र० शासन - साहित्य परिषद्, भोपाल, १९६२. भाव पाहुड-टीका सहित, षट् प्राभृत के अन्तर्गत. भावसंग्रह-देवसेन सूरि, मा० दि० जैन ग्रन्थमाला, बम्बई, वि० सं० १९७८. भिक्षु स्मृति ग्रंथ-जैन श्वे० तेरा० महासभा, कलकत्ता, १९६२. भिक्षुकोपनिषद्मनुस्मृति--टीका-पं० जनार्दन झा, हिन्दी पुस्तक एजेन्सी, कलकत्ता, वि० सं० १९८३. महापुराण-जिनसेनाचार्य, भारतीय ज्ञानपीठ काशी, १९५१. महावग्ग-सं० भिक्षु जगदीश कश्यप, विहार राजकीय प्रकाशन मण्डल, १९५६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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