Book Title: Mangalkalash Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 31
________________ (३०) ॥दोहा॥ ॥ चंपावती मांहि जाणियें।जे होय ज्योतिषराय॥ तेहेने तेमी पूबीयें। सुण तुं मोरी माय ॥१॥ लगन रुडं जो करी, कीजें उत्तम काम ॥ सिद्धि चढे उतावबुं। रहे पोतानी माम ॥॥ निमित्तियाने तेडवा। सुंदर चतुर सुजाण ॥ दासी एक त्यां मोकले। जेहनी सुललित वाण ॥३॥ ततक्षण आएयो ज्योतिषी। पेहेत्या सवि शणगार ॥ गज जेम आव्यो मल. पतो। राणीने दरबार ॥४॥ श्राव्यो देखी तेहने । राणी करे प्रणाम ॥ पूढे आसन देश्करी । श्रीफल आपी ताम ॥५॥ ॥ढालबारमी॥जोसियमातुं ज्योतिष जोय ॥ ए देशी॥ जोसियमाजी॥जो जो लगन विचार । रुडी परें चित्त राखजोजी॥जोसियडाजी ॥ क्यारें थाशे मुज काम ॥ ते तुमें साचुं जांखजो जी ॥१॥जोसीयमाजी जो सरशे मुज काज । देशुं जीन सोनातणी जी॥ जोसियडाजी ॥ देशू हैमानो हार । देशुं रयण रुमा मणिजी ॥२॥ जोसि॥ देशुं सवि शणगार । हीरे जडित सोवन सांकलां जी ॥ जोसि ॥ सोनेरी शिरबंध । हरमिज केरां मोती जलांजी॥३॥ जो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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