Book Title: Mangalkalash Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 47
________________ (४६) ताला देश सात॥६॥सुतनुं नाम सोहामणुं। दीधुं देव कुमार ॥ कुंवरी यौवन वय हु । रूप तणो नहीं पार ॥॥ देवकुंवर गुण सांगली।हवे मोटा राजान ॥धन साथें हरखें करी। दे बहु कन्यादान॥ ७॥ रिपुमर्दन माने नहीं। मुज सुतने लघु वेश ॥योग्य जाणी परणावसुं।एम कहे वमो नरेश ॥ए॥ सोपारा पुरनो धणी। मोकले धरी सनेह ॥ निज तनया अमरावती। शकि सहित गुणगेह ॥ १० ॥ आवी जाणी तेहने।मनमां चिंतवे राज ॥ पाली मोकलतां थकां। न रहे सुतनी लाज ॥११॥ वेश करी तिहां पुरुषनो। नूमिमंदिर धरी नेह। शुज लगनें परणावियां। नृप कुंवरी गुणगेह ॥१२॥ ॥ ढाल त्रीजी ॥ नावननी॥ ॥ कागलीयो किरतार जणी॥ ए देशी॥ ॥मातपितायें अति जोलापणे रे।ए शुंकी, काम॥ ए मुग्धाने मुज परणावतां रे । केम रहेशे मुज माम ॥९॥कुंवरी राजानी एम चिंतवे रे। करवो कवण वि. चार ॥ ए फुःख जाणे मनडुं माहरु रे । के जाणे किरतार ॥ कुम॥२॥ ए आंकणी॥हांथी गाज चालीश सांजल्यो रे।मोहोटो एक पहाम॥ते वच्चें मोटुं सरोबर जलें जमु रे । पाट जाजां जामकुमगा। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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