Book Title: Mangalkalash Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 60
________________ ( पाए ) पणाथी तेमी रे ॥ लाल विरह पढ्यो माता तणो । कोणें नव कीधी केमी रे ॥ लाल वा० ॥६॥ लाल बेटो करी मोहोटो कस्यो । वणकारे अभिराम रे || लाल श्राव्यो हुं मलवा जणी | अंबराज माहारं नाम रे ॥ लाल वा० ॥ ७ ॥ लाल जइने दीधी वधामणी । चांपाने ते शिवार रे || लाल चांपा यावी दोमती । श्रव्यो सवि परिवार रे || लाल वा० ॥८॥ लाल सहु श्रावी तेहने मल्यां । कोइ न जाणे नेद रे ॥ लाल पुरुष तबी बहोंतेर कला । जाणे सघला नेद रे || लाल वा० || लाल चांपा देखी रे आवती । सामो गयो ततका व रे || लाल मा बेटो सांई मव्यां । जोवे ते बाल गोपाल रे || लाल वा० ॥ १०॥ लाल रुद्धि देखी बेटा तणी । वली देखी तस नुर रे ॥ लाल चांपा मालण चित्तचितवे । प्रगढ्यो पुण्य अंकूर रे ॥ लाल वा०॥ १२ ॥ लाल चांपा सुत तेमी करी । घरे आयो धरी राग रे ॥ लाल नर नारी सदु एम कहे । चांपानं वम जाग्य रे ॥ लाल वा० ॥ १२ ॥ लाल पाडा पा डोशी सहु मध्यां । सबो कहे एह रे || लाल नायक सहुने श्रोलखे । नाम गम गुण गेह रे ॥ लाल वा० ॥ १३ ॥ लाल थांबो कड़े सुपो मातजी । में । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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