Book Title: Mangalkalash Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 61
________________ (६०) श्राएयु बहु धन रे ॥ लाल खार्ड पी विलसो घणुं। वालो देही वान रे ॥ लाल वा ॥ १४ ॥ लाल नोजन करी उतावली । लेश चंपकनो हार रे ॥ लाल लाखाने मलवा जणी। हैडे हरख अपार रे ॥ लाल वा० ॥ १५ ॥ बेटो कहे सुणो माडली। शीद पधारशो राज रे लाल ॥ ते तमें साचुंनांखजो । शे कामें शे काज रे ॥लाल वा०॥ १६॥ लाल जाशं लाखाने मंदिरें। जेहशुं अतिघण प्रेमरे ॥ लाल देशु तेहने वधामणी । ते सुख पामे जेम रे ॥ लाल वाण ॥ १७ ॥ लाल लाखा ते कोण जाणियें । सुत कहे कहो मुज वात रे ॥ लाल चांपा मांडी धुरथी कहे। लाखानो अवदात रे ॥ लाल वा ॥ १०॥ ॥ दोहा ॥ ॥अंबराज पोतें रचे। फूल तणो एक हार ॥माताजी तस श्रापजो । कहेजो माहारो जुहार ॥१॥ ह. रख धरती नीसरी। आवी लाखा पास ॥ दीधी पुत्र वधामणी। लाखामन उदास ॥२॥ हार देखीने अ. जिनको । लाखा मन बहु रंग ॥ कहो बेनी केनो रच्यो। अति सुरजी ने सुरंग ॥३॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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