Book Title: Mangalkalash Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(६५) चण वस्तु तणे मिशें । घोडे थइ असवार ॥ तांडु साथें वेश्ने । जिहां श्राव्यो बाजार॥२॥नाउँचोडं चूकवी। निज घर आव्यो तेह। हरख धरीने वली करे । पुरुष चरित्र वली एह ॥३॥ चितारो थर संचरे । श्राव्यो चहुटामांहि ॥ अभिनव रूप चित्री तिहां। मांडे धरी उछाहि॥४॥ फिरंगी कीधा फूटरा । विलंदा अति लाल ॥ शिर टोपी मदफू तणी। ढलता कानें वाल ॥५॥ लाखानी दासी तिहां । चंबेली जस नाम । चहुटे दीगे तेणीएं। चित्र कला अनिराम ॥ ६ ॥ लाखाने दासी कहे । तेहनां बहु वखाण॥चित्रशाली चित्रावीए । ते जे चतुर सुजाण ॥७॥ तेमी श्राएयो तेहने । मंडाव्यां चित्राम ॥ चतुरचितारा चित्रजे। देशुं तुज बहु दाम ॥ ७ ॥ चितारो निज चातुरी । प्रगट करीने ताम ॥ विंकावन रेवा लिखे । विऊगिरि श्रनिराम ॥ ए॥
॥ढाल नवमी॥ ॥रामचंडके बाग, चांपो मोरी रह्योरी ॥ ए देशी॥
॥श्रांबा चांपा केलि ।रायण रुकवली ॥ नालेरीने प्रग। लोल लविंग ललीरी॥१॥ अगर तगर नारिंग। दामिम प्राख खजूरी ॥ नाग पुन्नाग
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