Book Title: Mangalkalash Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 72
________________ ( ७१ ) चित्तमां बेठी सही ॥ २६ ॥ वात सुणीने थइ हेराए । लाखा नृपनां करे वखाए ॥ चतुराई कीधी अति जली । मुज लाखानी आशा फली ॥ २७ ॥ कूड कपट में कीधां घणां । में धूतायां मन जन तणां ॥ मृषावादनां कीधां पाप | राणी गले कहे निज पाप ॥ २८ ॥ लाखा कड़े स्वामी वमवीर । दरियानी परें थया गंनीर ॥ एटला दिन तमें न कही वात । धन्य पिताने धन्य तुज मात ||१|| त्रण काल जिन पूजा करे । अहो निशि ध्यान धरमनुं धरे ॥ दानें पोषे पात्र छानेक । चतुरा अधिक विवेक ॥ ३० ॥ श्रुत सागर बे नामें गणधार । ते बे विद्याना नंगार ॥ वन पालक श्रीने कड़े । ते निसुणि राजा गहगहे ॥ ३१ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ राजा सबल याडंबरें | तेमी सवि परिवार || राजा गजथी उतरी । प्रणमे वारोवार ॥ १ ॥ लाखा राणी रंगशुं । प्रणमी गुरुना पाय ॥ श्रापोपुं धन्य मानती । बेठी रुडे वाय ॥ २ ॥ जवि जनने हित कारणें । गणधर ये उपदेश || राजा राणी सांजले । मन धरी धर्म विशेष ॥ ३ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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