Book Title: Mangalkalash Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 71
________________ (७०) तेहनी लाज॥१७॥ लाखाने तेमी निज पुरें। नित नित नवला उत्सव करे॥लाखाने पटराणी करी जाणे ईजाणी अवतरी ॥ १७॥ पंच इंडियना विलसे लोग। सरखे सरखो लहे संयोग॥ वत्सराज मोहोटो पाल। अहोनिशधर्म तणो ने ढाल ॥१५॥ लाखायें प्रसव्यो एक पुत्र । जे राखे निज घर- सूत्र ॥ पुत्र हु बहु गुगर्नु धाम। हंसराज तसदीधुं नाम ॥२०॥ लीधुं राज्य प्रपंचें करी। जसनी वात जगमां विस्तरी॥ वत्सराज बेबुझि निधान । अनम सवे प्रणम्या राजान ॥१॥ एक दिन वत्सनृप लाखा नारि । बेह बेग गाँख मजार॥ वात विनोद करे मन रंग। हंजराज बेटो जत्संग॥२२॥ लाखा कहे स्वामी सुणो वात। शास्त्रे स्त्री चरित्र विख्यात ॥ अनेक शास्त्र दीगं में नएयां । पुरुषचरित्र दीग नवि सुण्यां॥ २३॥ तव राजा मरकलडे हस्यो।राणी कहे ए कारण किश्यो॥ कहे राजा तमें राणी सुणो। नर नारीथी अधिको गणो ॥२॥ पुरुष चरित्र में बहु केलवी। में तुज प्रत्ये घणुं जोलवी ॥ तुजने पण में धूती खरी। परणीने पटराणी करी ॥ २५॥ तुज श्राव्ये आव्युं मुज राज । सिक थयां मुज सघलां काज॥वात पूरवनी मांझी कही। तेहना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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