Book Title: Mangalkalash Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(६०) री। श्रने वली वयण विलास ॥ चकित थ५ लाखा जणे । स्वामी सुणो अरदास ॥ ए॥
॥ ढाल दशमी ॥चोपाश्नी देशीमां ॥ ॥ लाखानामंदिर उपरें। चित्रशाली नर एक चितरे ॥ लाखा बोली सुण तुं नूप । जोवा सरिखां उपर रूप ॥१॥ लाखानो ते साही हाथ । कुंवर कहे तमें श्रावो साथ। राजकुंवरने लाखा नार ॥ बेहु श्राव्यां साथे परिवार ॥॥ चित्र देखीने करे वखाण । लाखा मनमां थश्हेराण॥दीवा करी साथै बेचार। लाखा निरखे वारो वार ॥३॥ विध्याचलने रेवा नदी। हाथी नव विसारे कदी ॥ ए जोतां आवे जेटले। एक पोहोर वाग्यो तेटले॥णालाखा मनशंथरएकांतचित्र जोवानी सबली खांत।गज टोबुंदी चितस्युं। लाखा मन जोवानुं कयुं॥५॥हाथी टोनुं निरखी करी।मन हरखी लाखा सुंदरी॥गजणी साथें गज एक पड्यो । ते देखी कुंवर लम थड्यो॥६॥ध्रुजीने ते धरणी ढले । लाखा नयणे यांसू करे॥पुरुष चरित्र का, तान। हुउ अचेतन नाठी शान ॥ ॥ लाखा मनमां चिंते एम॥राजकुंवरने थाई देम॥सज थावाना करे उपाय। फूल वींजणे वीजे वाय ॥ ॥ उसम वेसड की
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94