Book Title: Mangalkalash Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 52
________________ (५१) ल ॥मांहोमांहे करी संग्राम । तमें नव राखो कुलनी माम ॥ ११॥ कुंकण देश अ श्रनिराम । सोपारा पुर पाटण नाम ॥ तिहां राजा ने चंद नरेश । न्याय करे नरना सुविशष ॥ १५ ॥ साथें लेश सोनश्याघणा। तिहां जश्य ते चारे जणा॥ तेह राजा देशे जस राज। ते जाई होशे नरराज ॥१३॥ वत्सराजनां वयणां सुणी । मनसा कीधी कुंकण नणी ॥ सोपारापुर पाटण जिहां । ते चारे आव्या तिहां ॥१॥ बहु परिवारे ते परवस्या । उतारे जुजुवा उतस्या ॥ राजसनामां चार कुमार । जश् राजाने कीध जुहार ॥ १६ ॥ देखी चकित थया सवि लोक । जोवा मलिया थोके थोक ॥ देखी कुंवरनां सरखां रूप।मनमां अचरिज पाम्यो नूप॥१६॥राजा पूजे प्रेमें करी । केहेना बेटा कोण तुम पुरी॥ ते नृपनी तिहां श्राणा लही। वात पूरवनी मामी कही ॥१७॥ राजा पासे श्राव्या बुं श्रमें । न्याय करीने श्रापो तुमें ॥ कहे राजा तुमें सरिखा सही। अवगुण अंगें दीसे नही ॥१॥ ते माटे अमें करी विचार । देशुं राज्य तणो शिर जार ॥ देवा राज्य तणी करे वात। पण राजाने नावे धात ॥१॥ एम करता हूथा खट मास । ते सवि नाश्हुआ नि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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