Book Title: Mangalkalash Kumar Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(४१) चावो दिन प्रतिहां ॥१॥दल वादल नामें सुविशाल। डेरा तणावो रंग रसाल॥अति रूडी तिहां रचना करो। आसन बेसण तिहां वली धरो ॥ १३॥ फूल पथरावो तिहां वली घणां । अगर तणां मांगो धूपणां॥बांधो मोतीनां कुमणां । रंगें रूपें रलीयामणां ॥ १४ ॥ देश परदेश तणा जन वृंद । जोवा आवे धरी थाणंद ॥ जे देखीने करे वखाण । तेह करजो चतुर सुजाण ॥ १५ ॥ राजा पहेरी सवि शणगार । सवि राणी साथे परिवार ॥ श्रावी बेग मंझप तलें। इंज जुवन आव्युं नूतलें ॥१६॥ मोहोटा मूंगला नूपति। चोकी करे ते निज खिजमती॥ ततदण तिहां तेमावे पात्र । मंमावे जोवानी जात्र ॥ १७ ॥ रूपें रूमी गणिका जेह । रुडुं नाची जाणे तेह ॥ तेहने राजा दे आदेश । नाचे नवलो पहेरी वेश ॥ १७ ॥ कंचुक कसीया लीडे अंगानाटक करवानो बहुरंग॥ पाये घूघरना घमकार । कांफरनो रम ऊम रणकार ॥ १॥ श्रावी नृपने करे प्रणाम।निज गुरुतुं तिहां ले नाम ॥ तिहां किण मांडे नाटारंन । आगल जेम नाचे रंन ॥ २० ॥ मधुरां वाजे आठ मृदंग । नाचे पात्र तिहां मनरंग ॥ ताल विणाने वली वांस
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