Book Title: Mandan Granth Sangraha Part 01
Author(s): Mandan Mantri
Publisher: Laherchand Bhogilal Shah
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श्रीहेमचन्द्राचार्य ग्रन्थावली.
( ३३ )
नसमाकर्णनलीन कर्णविस्मृतान्यपथमृगयूथमृगमदपरिमलब - इलधृतमदमदनकोदण्डदण्डितसर्व गर्वधरारातिगर्वधनम्, घनतरघनसार वल्लरीपरी तदिनकरकर जाल मञ्जुकुञ्जनिली नतपोधनध्यानवर्द्धनम्, अमितलवङ्गलतालिङ्गिततुङ्गपूगतरुतरुणजनमनोवि - नोदकारि, विसारिवारिनिर्झरझम्पिताने क पक्षिकुलकोमलकलकलानन्दि, प्रबलतरुदलनिबिड पटुसम्पुटमन्दिरसुप्तेन्दिन्दिरयोगिजनानन्दकरम्, कर्पूरकदलिकाव नविकासि कर्पूरगन्धबन्धननि'पन्देन्द्रनीलमुद्रालिमालिकाहार बुद्धियक्षबालिकासमूहमोहनम् ।
अपिच
कोकिलालापमाधुर्यदुःखवैधुर्यदायकम् । आलोकयन्वनं नेमिययौ रैवतकं गिरिम् ॥ १ ॥ निर्मलजलच्छायाहारि स्फुटत्स्फटिकतटरुचिरचितदिवानिशम्, निशाकरोदयमभ्रभङ्गितुङ्गशृङ्गसङ्गिशातकुम्भकुम्भनिभभा• नुविम्वमादधानम्, अतुलकलधौतकलसलसन्तम्, श्रीभगवतो जिनेश्वरस्य प्रासादमित्र प्रसादमापन्नम्, उपरिमिलज्जलदपटलविशालरचितातपत्रस फलितधराधिनाथशब्दम्, शिखरपरम्परामचल दुत्तालनिर्झर जलकल्लोल बहुलकलकलभ्रियमाणकन्दरामन्दनिनादमन्दितचतुरुदधिसमुच्छल द्वेला चटुलतरङ्गरिङ्गणध्वनिम् इन्द्रनीलमयसुनीलनितम्ब स्थलगगनाधिरुढ प्रौढमरोहसमूहसमुत्पादितश्यामलवनराजिधियम्, प्रबलमणिशिलास्फालनजर्जरितनिर्झरजललवपटलाकाण्डमण्डितप्रावृडाडम्बरम्, अम्बरचुम्बिजम्बुपुष्पस्तबकलम्बमानरोलम्बमालम्, मञ्जरितकरञ्जमञ्जरीरञ्जः पञ्जरितविविधतरुवनमञ्जुशिञ्जानकपिञ्जलकुलम्, सर्वर्त्तसमम् ।
"
इति व्यतिकरे दुर्द्धरकान्तारान्ते संचरणे सति मणिशिलाशकलतिक्ष्णधाराव्रणदलितजपाकुसुमदलसदृश चरणकमलतल
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