Book Title: Mahabharatam
Author(s): Nagsharan Sinh, 
Publisher: Nag Prakashan Delhi

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Page 528
________________ श्रीमन्महाभारतम् ! : लोकानुकमणी १२३ प्रधर्षयन्महाबाहं (उद्योग) १३०.५३ अपक्ष: शकुनिस्तेषां (द्रोण) ७.१२ प्रपेद हन्दयन्कामै (आ) १६७.१० प्रभग्नाः समरे भीता (कर्ण) ६०.६१ प्रमाते समदृश्यन्त (वन) १०२.४ प्रधानगुण तत्त्वज्ञः (आश्व) ३५.१९ प्रपतन्तपश्याम गिरेः (भीष्म)४८.११६ प्रफुल्लं पङ्कजं यद् (कर्ण) ५६.३१ प्रभग्न स्तावकान्योधान् (शल्य) १६.३० प्रभा समुत्सृणेदकों (आ) १०३.१७ प्रधान गुणतत्त्वज्ञः (आश्व) ४७.प्रपतन्त स्म वीरास्ते (भीष्म)९६.२८ प्रफुल्लशतपत्रेषु सरः (आ) १५५.२७ प्रभद्रकगणान्सर्वान् (सौप्ति) ८.६६ प्रभाव एष वो गावः (अनु) ८२.१६ प्रधानं महदव्यक्तं (अनु) १६.५३ प्रपतन्तो हतारोहाः (कर्ण) ५६.७२ प्रफुल्लै: कमलेश्चव तथा (वन) १५.७ प्रभद्रकाः शीघ्रतरा (उद्योग) ४८.३४ प्रभावशास्मि ते कृष्ण (आश्व)६७.१८ प्रधाना: सर्वलोक्स्य (भीष्म) ३.२० प्रपतन बुबुधेऽत्मानं (वन) १८१.३८ प्रबभौ ज्वलमानेव (सभा) ३.२५ प्रभद्रकास्त काम्बोजा (द्रोण) २३.४३ प्रभावती विशालाक्षी (शल्य) ४६.३ प्रधानो नाम राजार्थी (शाति) ३२०.१८१ प्रपतेद्धोः सनक्षत्रा (जन) २७८.३८ प्रबभौ पुरुषव्याघ्रो (कर्ण) ३६.१६ प्रभवन् पृच्छते यो (अनु) १४६.२८ प्रभावं पौरुषं बुद्धि (उद्योग) १३६.७ प्रध्यानसमकालं तु (वन) २७२.४३ प्रपतेद्यशसो दोप्तात्स (आश्व)९०.४७ प्रबभी भरतश्रेष्ठ (द्रोण) १३५.४१ प्रभवं चाप्ययं चैव (शांति) ३१०.६ प्रभाव विनयं शिक्षा (आ) १६७.४ प्रध्याय शङ्ख गाङ्गयो (विरा) ६४.४ प्रपद्यस्व महाबाहु (उद्योग) १२६.३८ प्रबभी हरिसैन्यं तत् (वन) २८३.१८ प्रभवं लोककर्तारं (वन) २०३.११ प्रभाववानपि नरस्तस्य (वन) २६.३४ प्रध्याय सोऽसृजन् (शांति) २०७.३० प्रपद्ये देवमीशानं (शांति) २८४.५७ प्रबाधनार्थ श्रुतिधर्न (शांति) २६७.२६ प्रभवाथ हि भूतानां (शांति) १०.१८ प्रभावश्चर्षिपूगस्य (अनु) १४८.४४ प्रध्वत्ता न निवर्तन्ते (शांति)१९४.५० प्रपद्ये शरणं देवं (द्रोण) २०२.४३ प्रबुद्धास्ते हिडिम्बाया (आ) १५४.१ प्रभवार्थाय भूतानां (शांति) १०६.१० प्रभावः सर्वगो वायु (अनु) १७.१०५ प्रध्वस्ता न निवर्तन्ते (शांति) २४६.३ प्रपन्तं रथात्कर्णं पश्यन्तु(कर्ण)७३.६६ प्रबोधनकर ज्ञानं (शांयि) ३०७.४५ प्रभविष्याव इति (आ) २०६.२२ प्रभावात्मा जगत्काल (अनु) १७.११२ प्रध्वस्ता न निवर्तन्ते (शांति) २८५.४१ प्रपन्नपाल गोपाल (वन) २६३.१० प्रबोधर्यतान्संसुप्तान (आ) १५३.६ प्रभा कश्च वै देख्यौ (सभा) ११.४१ प्रभावाद्वासुदेवस्य (आश्व) ६२.१२ प्रध्वस्ते कारणस्थाने (शांति) १३८.१५६ प्रपाणां च सभानां च (बनु) २३.६३ प्रबोधितो महातेजास्तं (अनु) १४.११० प्रभातमा श्वोभूते (द्रोण) १८३.५ प्रभावाद्वासुदेवस्य (उद्योग) १६१.४२ प्रनष्टः कुरुवंश (स्त्री) २३.२४ अपातितोपस्तरणान् (द्रोण) ३६.३३ प्रबोध्यते मागधसूत (वन) २३६.१० प्रभातायं तु शवयाँ (उद्योग) १६३.१ प्रभावैरन्वितास्तैस्तैः (शांति)२८८.४८ प्रनष्टं भारतं वंश (आ) ६७.१२४ प्रपातरायुधान्युग्राण्यु(द्रोण) १७५.७४ प्रबोध्य महता चैन (वन) २८६.२१ प्रभातायां च शर्वर्या (भीष्म) ५६.१ प्रभासतीर्थमासाद्य (वन) ११६.१ प्रनष्टं शान्तनोवंश (आ) १०६.२३ प्रपात्यमानः श्येनेन कपोत (अनु) ३२.४ प्रवहि कतमे तत्र पाते (कर्ण)४१.५५ प्रभातायां तु शर्वया (वन) २.१ प्रभासतीर्थ संप्राप्य (वन) ११६.३ प्रनष्टसंज्ञः पुनरुच्छ्व (कर्ण) १४.११ प्रपात्यमाना विस्रस्ता (आ) २०६.१४ प्रबू हि राजशार्दूल (आ) १३६.४० प्रभातायां रजन्यां तु (कर्ण) ३१.३४ प्रभासते यथाः सोमः (वन) ८२.६३ प्रनष्ट शाश्वतो धर्म(शांति) २६२.२० प्रपितामहाय च तत (अनु) १२.१४ प्रभग्न च बलं दृष्ट्वा (कर्ण) ६.७४ प्रभप्ते यास्यति भवान् (शांति)३५६.७ प्रभासदेशं संप्राप्तं (आ) २१८.३ प्रनष्टे तु ततः शाके (उद्योग) १३.२३ प्रपीडयन्महात्मानं (द्रोण) १५७.१३ प्रभग्नं बलमेतद्धि (कर्ण)५६.८३ प्रभाते राजसमिती (आ) २.२३० प्रभासमप्यथासाद्य (वन) १२.१५ प्रनृत्तमुभय वीर तेजसा (शल्य)३८.४१ प्रपूर्वगौ पूर्वजो चित्रभानू (आ) ३.५७ प्रभग्नं बायुवेगेन महाशालं (शल्य)६५.४ प्रभाते लक्ष्मणं वीरं (वन) २०२.४ प्रभासं मानसं तीर्थ (अनु) १०२.४५ Jain Education Internal For Private Personel Use Only www . library

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