Book Title: Mahabharatam
Author(s): Nagsharan Sinh, 
Publisher: Nag Prakashan Delhi

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Page 758
________________ सत्वं विद्वन्धर्ममिम (आ) १२३.७८ सत्वं विरुध्य तैर्वीरें (उद्योग) १२४.२६ स त्वं शमपरो भूत्वा वन्य ( आ ) ४२.७ सत्वं शीघ्रमितो गत्या ( भीष्म) १७.१२ स त्वं शूरश्च वीरश्च (उद्योग) ५७.५६ स त्वं सम्राड्गुणैर्युक्तः (सभा) १४.६१ स त्वं सात्वतमुख्याय (वन) १६.५ स त्वं स्वयमभिप्राप्तं (आ) ७४. ५४ सत्वं हि मूलमर्थस्य वितथं (वन) ३३.६४ स त्वया पुरुषव्याघ्र कथं (वन) ६६.२८ स त्वरण्यगतः प्राज्ञः (आ) ४६.१३ सत्वरं च रणे राजन् ( भीष्म) ८४.१६ सत्ववान् सात्विकः (अनु) १४६.१०६ स त्वां कुरुकुलश्रेष्ठ (जाश्रम) ११.४ सत्वां गईं भारतानां (उद्योग) ३२.२८ स त्वां निहतमात्रन्बे (द्रोण) १९३.६० स त्वां पृच्छामि कौन्तेय (कर्ण) ६६.२३ स त्वायुषि परिक्षीणे (शांति) १११-४ सत्वेन कुरुते युद्ध (वन) ३३.६३ स त्वेवमुक्तः कृष्णेन (द्रोण) १४१.३ Jain Education International सत्सु नित्यः सतां धर्मं (शांति) १५.१५ सत् स्त्रीणां समुदाचारं (अनु) १२३.१ सघसङ्घांस्तथा नागान् ( भीष्म) १५.५५ सदक्षिणस्य भुक्तस्य (वन) १९३.३६ सदक्षिणां काञ्चनचारु (वन) १८६.१३ सदग्ध द्रोणकर्णभ्यां (शल्य) ६२.१३ स दवाऽक्षौहिणी (द्रोण) १५६.१३५ सदण्डकोश निचयान् (द्रोण) ६४.१५ सदण्डशूला दीप्ताग्रा (शल्य) ११.१५ स ददर्श ततो जिष्णुः (वन) ३६.१७ स ददर्श ततो हंसाञ्जात (वन) ५३.१९ स ददर्श तदा कन्यां (आ) १००.४७ स ददर्श तदाऽऽत्मानं (शांति) स ददर्श तदा भीमं (भीष्म) स ददर्श तदाभ्याशे (अनु) स ददर्श तदा सीतां (वन) २७९.२ सदन तमासीनं विपुल (अनु) ४१.३ स ददर्श महाकायं (वन) १७८.२४ ३३२.५. ७७.३३ १५६.२७ स ददर्श महात्मानं (आश्व) स ददर्श महात्मानं ( भीष्म) ५५.५ १२२.३ श्रीमन्महाभारतम् : : श्लोकानुक्रममी स ददर्श महावीर्यं देव (शल्य) ४४.२३ स ददर्श शयानं तं (शांति) ३१.३६ स ददर्श शुभान् देशान् (वन) १७८.६ स ददर्श श्वमांसस्य (शांति) १४१.३७ स ददर्श हतान् भ्रातॄन् (वन) ३१३.१ स ददर्शाश्रमं दूराद् ( आश्रम ) २३. १७ स ददर्शाश्रमे रम्ये पुष्पि (वन) १३६.२ स ददाति मनुष्येभ्यः (अनु) १६१.२७ स ददाति मनुष्येभ्यः (द्रोण ) २०२.११३ स दर्पपूर्णे न समीक्षसे (उद्योग) १६३.१२ स दर्शपौर्णमासीभ्यां (द्रोण) सदंशकीटकमशके सपूति ( शांति) ३०२.३२ स दशायत्वा सैन्यानां (द्रोण) १४.६६ सदश्व इव स क्षिप्त: (उद्योग) १३६.१६ सदश्वाविव षन्ती (शल्य) ५५.४२ स दष्टमात्र नागेन (आ) ५०.२३ सदसच्चैव यत्प्राहुर (आश्व) ५४.५ सदसद्व्यक्तमव्यक्तं (अनु) १४.१९३ सदसद्व्यक्तमव्यक्तं (अनु) १७.१४३ सदस्यं समुपासीनं (विरा) ६६.७ १८.३० For Private & Personal Use Only सदस्यश्याभवह्वासः पुत्र (आ) ५३.७ सदाकान्तां शिवां चैव (भीष्म) ६.२५ सदा कृतज्ञ द्विजशत्रुघातके (द्रोण ) २.५ सदाक्षिणां काञ्चनचारु (अनु) ५७.३० सदा क्षिपसि वै कृष्णी (द्रोण) १५८.३४ सदा च तत्र पर्जन्य: ( विरा) २८.१६ सदा च वायवो वान्ति ( विरा) ४७.२६ सदा चाक्षप्रियो (शांति) २८४.१४० सदा चापररात्रान्ते (आश्रम) ५.३४ सदाचाररता नित्यं (वन) २६३.३५ सदाचार: स्मृतिर्वेदा (शांति ) २५९.३ सदाचारी मतो धर्मः (शांति ) २६०.५ सदा चाहं फलाहारो (अनु) स दान्तः स मृदुः शुर : (वन) २९४.१९ सदा देवमनुष्याणाम (उद्योग) ११५.१२ सदा देवा साधुभि (शांति) २९९.३४ सदा द्वादशमासांश्च (अनु) १०७.१०३ सदा द्वादशमासांस्तु (अनु) १०७.२३ सदा द्वादशमासांस्तु (अनु) १०७.१९ सदा द्वादशमासांस्तु (अनु) १०७.१०६ ९. १५ ७५३ १०७.४४ १०७.५६ १०७.७५ सदा द्वादशमासांस्तु (अनु) १०७.१०० सदा द्वादशमासांस्तु (अनु) १०७.११० सदा द्वादशमासांस्तु (अनु) १०७.११४ सदा द्वादशमासांस्तु (अनु) १०७.११९ सदा द्वादशमासान्वं (अनु) १०७.२७ सदा द्वादशमासान्वै (अनु) १०७.३३ सदा द्वादशमासान्वै (अनु) १०७.४० सदा द्वादशमासान्वं (अनु) सदा द्वादशमासान्वं (अनु) सदा द्वादशमासान्वं (अनु) सदा द्वादशमासान्वै (अनु) सदा द्वादशमासान्वं (अनु) सदा द्वादशमासान्वं (अनु) १०७.८८ सदा द्वादशमासान्वै (अनु) १०७.९४ सदा द्वादशमासान्वै (अनु) १०७.६७ सदा द्वादशमासान्वे (अनु) १०७.१२२ सदा द्वादशमासान्वै (अनु) १०७.१२८ सदा द्विजातीन्संपूज्य (अनु) १५९.५ सदा धर्मफलं राज्य (शांति ) २७१.२७ सदा न विश्वसेद्राजा (शांति ) १३९.७४ १०७.७६ १०७.८४ www.jainelibrary.org

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