Book Title: Mahabharatam
Author(s): Nagsharan Sinh, 
Publisher: Nag Prakashan Delhi

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Page 787
________________ भीमममहाभारतम् ।। श्लोकानुकमची ७१२ सवत्सां पीवरी दत्वा (अनु) ७६.१८ स वराहमध्वजस्तूर्ण (द्रोण) १४६.५६ न वाच्यः सहितः सर्वे (वन) १००.६ स विक्षरनाग इव (कर्ण) ८३.६ स विदो बहभिर्वाण (द्रोण) १०८.२१ स वध्यमानः सङ क्रुद्धः (वन)२०४.२५ सवरूथै रथेग्नै (भीष्म) १०६.२२ स वाच्यो ममः संदेशा (वन)४७.२५ स विक्षरन् रुधिरं (कर्ण) ६७.११ स विद्धो बहुभिर्वाण (वन) ३६.१६ स वध्यमानः समरे (द्रोण) १०८.२२ सर्वरथ च जीवद्भिः (शल्य) ४.१५ स बाजिर६मातङ्गा (कर्ण) ७३.२८ स विगाढां निशा (शांति) १४१.४३ स विद्धो बहुभिः संख्ये (कर्ण) २७.१० स वध्यमानः समरे (द्रोण) ११०.१० स वैरएछन्दितस्तेन (अनु) १५२.७ सवाजिसूतेष्वसनान् (कर्ण) ७९.९० स विचर्मा महाराज (कर्ण) ५४.२० स विद्धो विक्षरन् (भीष्म) ७३.२७ स वध्यमानः समरे (द्रोण) ११६.२४ , सवर्णों हि सवर्णानां (सभा) २२.१२ सवादून्यमतकल्पानि (विरा) १४.३० । स विचिन्त्य महातेजाः (भीष्म) ८.२० स पिद्धो व्यथितश्चव(भीष्म)१०१.४७ स वध्यमानः समरे (द्रोण) १२८.१८ हो स वईमानद्वारेण (आश्रम) १६.३ स वानरमहासन्यः (वन) २८३.१३ ।। स विचिन्त्य महातेजा (वन) १८५.३. स विद्ध्वा दशभिर्बाणः (द्रोण) ३८.४ स वध्यमानः समरे (शल्य) १९.४५ स वधमानः स्तयेन (शांति) ६५.१९ सवा प्रवेश्यतां (वन) ७६.४ स विचिन्याथ गोविन्दो(वन)२०३.३४ स विद्ध्वा मर्मसु द्रौणि(कर्ण)६४.२८ स वध्यमानस्तर (वन) २४५.२७ स वर्धमानो बलवान (आ) १११.२५ सवायवरुणाव स(शांति) २२३.५ स विचिन्त्यावीपक्षी (आ) २७.१२ स विदृष्वा समर वाण(वाण)११७.१९ स वध्यमाना महती सेना(शल्य)६.३७ सवर्मध्वजशस्त्रश्च (द्रोण) १३६.२४ स वायवीयंप्रतिमो वाय(कर्ण)७७.२५ स विजित्य ततो राजन (सभा)२७.२७ स विद्ध्वा सात्यांक (द्रोण) १२३.२ स वध्यमानो गृध्रण (वन) २७६.६ स वर्मभिभूषणैश्च (आ) १०२.२३ स वारणं नगप्रव्यं (आ) ७५.६ स विजित्य दुराधर्ष (सभा) ३१.१२ स विद्ध्वा सात्वत (द्रोण) १६६.१. स वध्यमानो बहुधा (द्रोण) १०५.४२ स वर्षति स्म वर्षाणि(शांति) २२३.६ सवारणरथौद्यानां (भीष्म) ६१.१५ स विजित्य महीपाला (आ) ७४.१२८ स विद्य पछुरित चापं (वन) १७.४ स वध्यमानो वहधा (द्रोण) १२२.४५ सबस्मीकोऽभवदपिः वन स वारणिस्तपस्तेपे(आ) ६६.७ स विजित्य रणे शूरान (द्रोण) १६८.३३ स विद्युत्स्तनिता मेघः (द्रोण)२०.१६ स वध्यमानी बहुभिः (द्रोण) ९६.२६ स व र तत्र वन स वार्यमाणस्तस्त्र (वन) २४५.२४ स विशेयः पुरुषोऽन्यत्र (सभा) ६४.२ से विद्वान् वेदयुक्तश्प (शल्य) ४... स वध्यमानो भीतन (द्रोण) १०८.२७ सव मावस्त्थान (वन) ११७ स वार्यमाणो नास्माकम(स्त्री) १३.५ स विदित्वा तु नृपतिः (वन) १८.२ स विध्वा भारत (भीष्म) १०४.२६ स वभ्यमानो रक्षसा द्रोण) १७६.५१ सबसतीजिशबीचव (द्रोण) १६२.३३ स वार्यमाणो भीमेन (द्रोण) १३५.३६ स विदित्वैव नृपति (आ) १७३.१४ स विनिश्चित्य बहुधा (वन) ६२.१३ स वध्यः सर्वलोकस्य (द्रोण)१६०.३६ स वस्त्रधनरत्नौधो (आश्रम) १४.१३ स वार्यमाणो रथिभिः (द्रोण) ७३.३ स विदित्वंव नृपति (आ) १७३.१५ स विनिधित्य मनसा (आ)१३१.१३ स वनानि विचित्राणि(शांति) ३५७.१ स वह्निः प्रथमो नित्य (वन) २२२.७ सवालव्यजनैदिव्य (कर्ण )९०.१८ स विदेहानतिक्रम्य (शांति) ३२५.२२ स विनिश्चित्य मनसा (आ)१६६.१६ स बनेऽग्नीन्यथान्यायं (शांति)३२६.१६ स वा कर्णो महाबदि द्रोण१२.१८ सवाष्णेयवचः श्रुत्वा (द्राण) १७८.४ स विद्धः सूतपुत्र ण (कर्ण) ५०.३८ स विमद्य महानाद (द्रोण)१७०.३ स बने निर्जने तात (अनु) ४२.१७ स वाक्यं कुरुवीरस्य (वन) १४७.४ स वासुदेवेन समुद्र तश्च (अनु) ७०.७ स विद्धस्तेन बलवान् (भीम) ४८.५५ सविनय महानादं (वन) २७१.२२ स वभूव ततः कामी (आ) १०४.१५ स वाचा कर्मण चैव (शांति) ३५५.५ स विकारं शरीरस्य (शांति) ५.५ स विद्धस्तैः शरद्रोण (कर्ण) ५६.५५ स विनिजित्य राज्ञ (सभा) २६.१५ in Education Internation For P 5 Personal use Daly

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