Book Title: Mahabharatam
Author(s): Nagsharan Sinh, 
Publisher: Nag Prakashan Delhi

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Page 777
________________ श्रीमन्महाभारतम् ।। श्लोकानुगमणी ७७२ सरयूरिवत्याथ लागली(सभा)६.२२ सरस्वती तत: सोमः (ल्य) ३५.७८ स राजगृद्धिभी रुद्धः पाण्ड (कर्ण)४६.६ स राजा तस्य ते (उद्योग) १४७.४० स राजा शकुनेः पुत्रः (आश्व) ८४.६ सरयूवा बाहुदायां च (अनु) १०३.३८ सरस्वती तथा दृष्ट्वा (शल्य)४२.४१ स राजगृहमासाद कुबेर(सभा) ५८.३ स राजा तस्य राजर्षेः (वन) २६५.५ स गजा शत्रवशगः (शांति) २५६.६ स रराज तथा संख्ये (कणं) ७७.३५ सरस्वती समासाद्य (वन) ८४.६६ स राजतो महास्कन्ध (भीष्म ४७.२५ स राजा तां बढमित्यु(वन) १९२.१२ स राजा शान्तनुर्षीमान्दे (आ) ६.२५ स वस्तस्य शरस्य (द्रोण) १३७.३७ सरस्वती वाससमा (शल्य) ५४.३८ स राजधानी संप्राप्य (विरा) १.६ स राजा देवगांभो (आ) ११२.२४ स राजा शान्तनुर्धीमा (आ)१००.१ सरश्चेदमस्य दक्षिणा (वन) १६६.११ सरस्वती सर्वतदीषु (शल्य) ५४.३६ स राजधान्या निर्याय (विरा) ३८.१ स राजा धर्मराडाजन (आश्व) ७३.४ स राजा सर्वतश्चक्षु (उद्योग) ३८.१६ स रश्मिभिरिवादित्यः(वन) १६०.५५ सरस्वत्याः प्रभावोऽय (शल्य) ४४.१ स राजन् कुन्तीभजिम (वन) ३०३.६ स राजा धर्मविन्नित्यं (शांति) १२२.२ स राजास शिवो (भीष्म) १२... स रश्मिषु विषक्त्वा (द्रोण) १८८.८ सरस्वत्या महापुण्यं (वन) ८२.१२६ । प २ .१२६ स राजन् धर्मशीले न (आश्रम) १३.६ स राजानमुपातिष्ठद्वाहको (वन) ६७.२ स राजा सिंहविकान्तो (आ) ८५.६ सरसस्तस्य मध्ये तु (उद्योग) १४.१० सरस्वत्या महाराज (वन) ८२.११५ स राजन्प्रीयमाणेन (सौप्तिक) १२.१६ स राजा पाण्ठवश्रेष्ठ (शांति) २३.४५ स राजास्त्वकृतप्रज्ञः (अनु) १४.३६ सरः सुपर्णन हुतोरगं (वन) २६६.५ सरस्वत्यारणायापच (शल्प) ४३.४२ स राजन मोदयसे (शांति) ३५.४६ स राजा पुज्ञपौत्राणां (शांति) ६.१२ स राज्यं प्राप्यं सुग्रीवः (वन) १४८.३ सरःसु फुल्लेषु वनेषु (आ) ४४.१० सरस्वत्या बरे तीर्थ (शल्य) ३५.७५ स राजपुत्रोऽन्यदवाप्य (कर्ण) ८२.३४ स राजा पुत्रिवीपालः (आ) ४६.२२ स राज्यं सचिवे न्यस्य (वन) १०५.३ सरस्तदासाथ तु पाण्ड (वन) २३६.२ सरस्वत्या: शुभ तीथे (पास्य) ३७.१६ स राजमध्ये पुरुष प्रवीरो (कर्ण) ७.१६ स राजा प्रतकृत्यानि (द्रोण) ५२.३० स राज्ञ उपभोग्यानि (आ) २०४.२० सरस्यास्मन्महाकायो पूर्व(आ) २६.२६ सरस्वत्या सिद्धगणस्यविन) ११८.१३ स राजमार्गःशुशमे (शांति) ३८.२ स राजा बलवानासात्स(सभा)१२.११ स राज्ञा स्वयमाचार्यो (द्रोण) ७५.२५ सरस्यकन पादन तिष्ठ (वन) ३१४.२ सरस्वत्यास्त जातं (शल्य) ३७.२१ स राजराजोलछायां (वन) २७५.३ स राजा भावितः (शाति) २२६. स रामप्रतिकलानि (आश्व) २६.६ सरस्वतीतीर्थ वरं नानादि (मास्य) ३७.६१ सरस्वत्य वरं प्रादात् (शल्य ५१.१७ स राजाधगतः स्वग (अनु) स राजर्षिर्गतः स्वर्ग (अनु) ३२.३४ स राजा भूय एवाथ (उद्योग) १६०.३ स राममिसम्प्रेक्ष्य (वन) २७६.३१ सरस्वतीदूषवत्यो यमुना (वन) ५.२ सरांसि सरितश्चैव (आश्व) ६४.६ स राजषिविशुद्वात्मा (अनु) ३३.३७ ।' स राजा मगयां यातः (आ) ४१.५ स रामं प्रांजलिर्भूत्वा (शानि) ३.१६ सरस्वता नदी सद्धिः (वन) १०.१० सरांसि सरितार्षद (वन) १४३.३ स राजमयं राजेन्द्र (सभा) १३.५ स राजा रातसमरपा (मा) १.११ स रामं विहतं क्रत्वा (वन) ६९.५३ सरस्वती पुण्यतमा (द्रोण) १४ सरांसि सरितश्चन (शांति) ११.१७ स राजसूयश्च समाप्त (कर्ण) ७०.३२ स राजा राजधमोश्च (आधम) ३५.२ स रामं सहमपीवो (वन) २५२.२२ सरस्वती महापुण्या (वन)९०.३ सराक्षसगण राजन् (ब्रोण) १११.३१ स राजा कौशिकस्तात(शल्य) ४०.१३ स राजा राजमार्गेण (आश्रम) १६.२ स रामस्य धनुर्वेदं (आ) १३०.५२ सरस्वतीमीरय वेबजुष्टा(वन) १३३.८ स राजकानां सर्वेषां (शल्य) २.६० स राजा चत्रवासीत्(आ) ७४.१२६ स राजा राजशार्दूम(शांति)३३६.६३ सरित: सर्वतश्चान्या (सभा) ६.२४ सरबतीमुच्चचार (शांति) ३४६.३६ सराकानि राष्ट्राणि (काति) ६६.२२ स राजा बालवीतीरे (बाम) ३६.५ स राजा व्यथितो (आव) २.१६ सरितः सागरं प्राप्त (उद्योग) २१.२६ Jain Education Intersalon For Private Personal use only www.alinelibrary.org

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