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अरिहंत के सर्व सामान्य नाम हो सकते हैं। यह इस प्रकार:
२४ अरिहंत
प्रत्येक के गर्भकाल में विशेषता जांघ पर वृषभ का चिह्न;
१. ऋषभदेव
माता को पहला स्वप्न वृषभ; माता द्यूत में पिता से न जीती गई अधिक धान्य की उत्पत्ति
२. अजितनाथ
३. संभवनाथ
४. अभिनंदन०
५. सुमतिनाथ
६. पद्मप्रभस्वामी
७. सुपार्श्वनाथ
८. चन्द्रप्रभ०
९. सुविधिनाथ
१०. शीतलनाथ
११. श्रेयांसनाथ
१२. वासुपूज्यस्वामी १३. विमलनाथ
१४. अनंतनाथ
१५. धर्मनाथ
१६. शान्तिनाथ
१७. कुन्थुनाथ
१८. अरनाथ
१९. मल्लिनाथ
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इन्द्र द्वारा बारबार अभिनंदित
माता दानादि धर्म में तत्पर हुई
पूर्वोत्पन्न अशिव की शान्ति हुई
माता ने रत्न शोभित कुन्थु याने स्तूप देखा माता ने सर्वरत्नमय अर (चक्र के आरे) देखें माता का सर्व ऋतुओं के पुष्पों की मालाओं
| अरिहंत के सर्वसामान्य नाम समग्र संयमभार के वहन से
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वृषभ
माता को किसी एक पुत्रार्थ झगडती दो माताओं को यथार्थ न्याय देने की मति हुई।
माता के पद्मशयन का दोहद इंद्र ने पूर्ण किया पद्मसम निष्कलंक प्रभा वाले
माता अच्छे पार्श्व वाली हुई
| सुशोभित पार्श्व वाले
प्रभु की चन्द्रसम उज्ज्वल प्रभा
चन्द्रसम सौम्य प्रभा वाले सर्वविधि में कुशल
माता सर्वविधि में कुशल हुई
माता के कर स्पर्श से पिता के पित्तदाह का शमन जीवों के समस्त संताप शांत करने वाले | विश्व को श्रेयरूप, हितकर
माता द्वारा देवाधिष्ठित शय्या पर प्रथम आरोहण एवं श्रेयनिष्पत्ति
देवों ने बार बार राजकुल में रत्नवर्षा की माता की काया एवं मति विमल हुई माता को रत्नजडित महा हार का स्वप्न
परीषहादि से पराजित नहीं
जहां ३४ अतिशय का संभव है
अथवा जिनकी स्तुति से सुख होता है
| देवेन्द्रो से जिनका अभिनंदन किया गया
सुशोभन मति है जिनकी
वसु नामक देवों से पूज्य
| निर्मल ज्ञानादि वाले, मलरहित | अनंत कर्माणु नाश से अनंत | ज्ञानादि वाले
| दुर्गति पतन से जीवों को धारण | करने वाले
शान्ति रूप, शान्तिकारक पृथ्वी पर रहे हुए
कुल वृद्धि हेतु अर स्वरूप परीषहादि मल्ल के विजेता
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