Book Title: Lakshya Banaye Purusharth Jagaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 9
________________ उनकी काव्य-प्रतिभा की सारी मानवता कायल है । प्रसिद्ध विद्वान् डॉ. रघुवंश सहाय वर्मा हाथ से लाचार थे, वह पैर से लेखन-कार्य करते थे । क्या यह उदाहरण हमारी सोयी चेतना को जगाने के लिए पर्याप्त नहीं है ? जब कभी हेलन केलर को पढ़ता हूँ, तो हृदय इस बात से अभिभूत हो जाता है कि एक गूंगी-बहरी-अंधी, यद्यपि इस शब्द-प्रयोग के लिए मैं क्षमा चाहता हूँ, क्या जीवन की इतनी पारदर्शी गहराइयों तक उतर सकती है ! जीवन का क्षेत्र अत्यन्त विस्तीर्ण है और कार्य करने को अनन्त । यदि हम किसी भी वस्तु की प्राप्ति की आकांक्षा अपने संपूर्ण मन से करें, और उसे प्राप्त करने के लिए निरन्तर प्रयास और संघर्ष करते रहें, तो प्रकृति हमें सफलता वैसे ही दे देती है, जैसे सूरज से चली किरण और बादल से बरसी बूँद हम तक पहुँच ही जाती है। जो लोग अपने जीवन में एक लक्ष्य को बनाकर जीवन के रास्तों से गुज़रते हैं, वे अपनी मंजिलों को मकसूद कर ही लेते हैं जो लोग लक्ष्यहीन जीवन जीते हैं, वे संसार की इस पाठशाला में पढ़ने के लिए फिर भेज दिए जाते हैं। आखिर जो यहाँ नहीं चला, वह और कहीं चल पाए कम सम्भव है । जो जीवन के रास्ते से गुज़रकर जीवन से मुक्त हो जाते हैं, वे सिद्धि और सफलता को प्राप्त कर लेते हैं। जो लोग जीवन के रास्तों से गुज़रकर भी जीवन के पाठों को पढ़ नहीं पाते, वे संसार की पाठशाला में फिर-फिर लौटा दिए जाते हैं । किसी बैरंग लिफाफे की तरह मनुष्य के पुनर्जन्म की यही कहानी है। लक्ष्य बसाएँ आँखों में ___ जिस आदमी की ज़िंदगी में उसे अपना लक्ष्य नज़र आता है, वह व्यक्ति अपने जीवन की अंतिम साँस तक का उपयोग कर जाता है । जिस आदमी के जीवन का कोई लक्ष्य नहीं होता, वह आदमी न तो जी रहा है और न ही वह मर रहा है। उस आदमी की स्थिति बिलकुल ऐसी ही हो जाती है कि जैसे किसी आदमी को तरल ऑक्सीजन में गिरा दिया जाए। तरलता आदमी को जीने नहीं देती और ऑक्सीजन आदमी को मरने नहीं देती। ऐसी स्थिति हर किसी की है। व्यक्ति इसलिए जी रहा है, क्योंकि मौत अभी तक आई नहीं है । ऐसा व्यक्ति अपनी जिंदगी में कभी कुछ नहीं कर सकता। लक्ष्य बनाएँ, पुरुषार्थ जगाएँ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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