Book Title: Lakshya Banaye Purusharth Jagaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 19
________________ को दोष देता फिरे, पर हकीकत यह है कि किस्मत भी उसी का साथ निभाती है जो पुरुषार्थशील होते हैं । चर्चित पद है— रसरी आवत जात है, सिल पर पड़त निशान । करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान ॥ अगर निरन्तरता बनी रहे, प्रयत्न जारी रहे, तो पत्थर भी घिस जाता है, काम करने का तरीका आता हो, तो पत्थर कला का नायाब नमूना हो सकता है, वह किसी महापुरुष को प्रतिबिम्बित कर सके, ऐसी प्रतिमा, बन सकता है । हम कुनकुने प्रयासों की बजाय, स्वयं को लक्ष्य के लिए समग्रता से लगाएँ । लक्ष्य-सिद्धि के लिए एक ही बात चाहिए और वह चाहिए— समग्रता ' धीरज धरो : विश्वास करो सम्भव है सफलता पहले पुरुषार्थ में न मिले, पर इससे अधीर होने की आवश्यकता नहीं है | हम धैर्य रखें । आखिर, दुनिया में कोई भी चीज मुफ्त नहीं मिलती और उस उपलब्धि का मूल्य ही क्या, जो बिना श्रम के मिल जाए । आदमी का असफल होना स्वाभाविक है, आखिर गिरता वही है जो चला करता है । पर जो गिरकर भी फिर उठ खड़ा हो आए और फिर सुदृढ़ता से चलना शुरू कर दे, वह शिखर तक पहुँच ही जाता है । धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय । माली सींचै सौ घड़ा, रितु आय फल होय ॥ तुम केवल सिंचन को मूल्य दो । फल देना प्रकृति का काम है । तुम प्रकृि की व्यवस्थाओं में भी कुछ तो निष्ठा रखो। अधीर लोग ही निराश होते हैं और निराशा पुरुषार्थ की दुश्मन है । लक्ष्य + योजना + निरन्तर प्रयास – ये तीन सूत्र हैं सफलता के लिए और साथ में चाहिए दो विशेष सम्बल । वे हैं धैर्य + आत्मविश्वास । ये पाँच मंत्र हैं जिसके हाथ में, सफलता है उसके साथ में 1 आप यदि अपने आपको असफल देख रहे हैं, तो यह तय है कि हमने १२ Jain Education International लक्ष्य बनाएँ, पुरुषार्थ जगाएँ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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