Book Title: Lakshya Banaye Purusharth Jagaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 43
________________ जिस आदमी का स्वभाव इतना सौम्य और मधुर है, जिसकी वाणी में जैसे मिश्री घुली हुई है कि जो सौवीं गाली के जवाब में भी 'जी हाँ' कहता है, वह व्यक्ति सचमुच सन्त ही है । सन्त का अर्थ होता है शान्त होना । जो आदमी शान्त है वह सन्त है । हमारी वाणी में ऐसी मधुरता होनी चाहिए । वाणी का मिठास, आह, इससे बेहतरीन पुष्पहार क्या होगा ! किसी भी बुद्धिमान-समझदार व्यक्ति की यह सबसे प्रभावशाली निशानी है। व्यवहार हो शालीन मैं तीसरा सूत्र देना चाहूँगा–व्यवहार में शालीनता । यह कोई सामान्य बात नहीं है कि आप किस तरह से उठ रहे हैं, किस तरह से बैठ रहे हैं, किस तरह से सो रहे हैं । आपका चलना, सोना,बैठना भी दूसरों को प्रभावित करता है । आपका व्यवहार आपकी पहचान का आधार है। शालीनता का मंत्र इसलिए है कि आदमी सलीके के साथ देखे, फिर बैठे। ऐसा न हो कि वह आए और धड़ाम से बैठ जाए । बैठना है तो शालीनता के साथ बैठो । खाना है तो सलीके से खाओ । ऐसा न हो कि खाते समय आपके सारे दाँत दिखें । किसी के प्रति अगर आँख उठाकर देखना भी है तो इतने प्यार से देखा जाए कि उसमें सौम्यता झलके । ऐसा न हो कि दृष्टि से लोफर लगो। क्या आपने कभी सोचा है कि 'लुच्चा' शब्द कहाँ से आया है ? लोचन से ही लुच्चा बना है। जो लोचन को कहीं पर भी गाड़कर देखता है, वही लुच्चा है । देखना है तो प्यार से देखो, तरीके से देखो। घर में कोई आता है तो सलीके के साथ बात करो, बच्चों को शालीनता सिखाएँ । मैं एक घर में आहार के लिए गया था कि इतने में एक बच्ची आई और मम्मी से कहने लगी-मम्मी, मैं जहाँ भी जाती हूँ, छोटा भैय्या वहीं आकर खड़ा हो जाता है। यह भी कोई तरीका है ? वह यह बोलकर अपनी कार से रवाना हो गई। बच्चों को शालीनता सिखानी चाहिए कि जब चार लोग हमारे सामने बैठे हों तो हम किस तरह से पेश आएँ। एक छोटा-सा प्रसंग है। हम सूरत में थे। कोई आवश्यक बैठक आहूत थी, जिसमें दो ऐसे आदमियों को आमंत्रित किया गया था, जिनमें से एक लखपति था तो दूसरा अरबपति । एक हवाई जहाज से पहले आ गए। वे हमारे पास बैठे औरों का दिल जीतें ३६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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