Book Title: Lakshya Banaye Purusharth Jagaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 75
________________ व्यर्थ कोई भाग जीवन का नहीं है, व्यर्थ कोई राग जीवन का नहीं है । बाँध दो सबको सुरीली तान में तुम, बाँध दो बिखरे सुरों को गान में तुम ॥ जीवन को हम सुरीली तान से भरें | अपने बिखरे स्वरों को गीतों में बाँधे । जीवन संगीत और सौंदर्य से भरा जा सकता है बस, आत्मविश्वास चाहिए, अभय-दशा चाहिए। ध्यान रखो, मौत जीवन में एक बार ही आती है, दो बार नहीं और वह भी उसी दिन, जिस दिन आनी है । फिर भय किस बात का, चिंता किस बात की ! सदा मस्त रहो, निर्भय और आत्मविश्वास के स्वामी बनो भय का भूत भगाएँ Jain Education International For Personal & Private Use Only ००० ६८ www.jainelibrary.org

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