Book Title: Lakshya Banaye Purusharth Jagaye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 18
________________ लगनपूर्वक अपने कार्य को संपन्न करता है तो यह सुनिश्चित है कि अगर वह गरीब है, तो उसे अमीर बनते देर नहीं लगती, मंजिल आगे बढ़कर उसके कदम चूमती है। कछ दिन पहले ही मैंने समस्त समाज से कहा था कि अगर आप समाज के किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए कदम बढ़ाएँ तो हमारा पूरा-पूरा सहयोग मिलेगा। वह कार्य किसी मंदिर, विद्यालय, चिकित्सा-केन्द्र या सराय के निर्माण का हो सकता है या और कोई जिससे पूरे समाज का हित सधता हो । लोग करने के नाम पर बस राजनीति करते हैं । समाज को आपकी नेतागिरी की नहीं, निष्ठापूर्ण कार्यों की जरूरत है। समाज चाहता है कि तुम काम करो, कुछ रचनात्मक काम करो, कुछ बनाओ। जो बना नहीं पाता, वह बिगाड़ता ही है । जो सृजन नहीं कर पाता, वह विध्वंस ही करता है। इस मानवीय प्रवृत्ति पर विजय पाएँ और दत्तचित्त होकर काम में लग जाएँ। ___ कल ही में एक मंदिर में गया था। वहाँ के कर्ताधर्ता ने बताया कि मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जायेगा, जिसमें फलां सुधार होगा, फलां निर्माण होगा। मैंने कहा-'होगा' में कुछ नहीं होगा, क्यों न तुम कार्य की शुरुआत आज से ही करवा दो। ऐसा सुनते ही वह बगलें झाँकने लगा। दुनिया में बातों के बादशाह बहुत होते हैं, आचरण के आचार्य कम । लोगों को करना-धरना कुछ नहीं, केवल बातें करेंगे । मनोयोगपूर्वक तुम लग जाओ तो सारी सृष्टि तुम्हारे सहयोग के लिए तैयार रहेगी। थॉमस अल्वा एडीसन ने बल्ब का आविष्कार किया था। वह अपने प्रयोग के दौरान हजारों बार असफल रहा। उसके सभी साथी उसे छोड़ गए, फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी । वह अपने काम में, पुरुषार्थ में जुटा रहा और आखिर उसने अपने लक्ष्य को पा ही लिया और तब सारा संसार बल्ब की रोशनी से नहा उठा। केवल मनोयोग चाहिए, लगन चाहिए सितारों को तोड़ लाने के लिए। लक्ष्य बनाएँ, पुरुषार्थ जगाएँ, मंजिल आपके कदमों में होगी। पुरुषार्थ हो निरन्तर यदि हम अपने लक्ष्य के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहेंगे, तो लक्ष्य को सिद्ध करने से कोई रोक नहीं सकता। भले ही कोई अपनी असफलता के लिए किस्मत ११ om लक्ष्य बनाएँ, पुरुषार्थ जगाएँ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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