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वह बच जाता है और उन कर्मो के निमित्त से बुद्धि को विकृत करनेवाला दंडित होता है। ___हमारी बात यह थी कि बेचारे भील-कुमार के कर्म ही ऐसे होंगे कि उन्होंने मानभट की बुद्धि बिगाड दी और उसने भील कुमार की हत्या की। 'अपने अशुभ कर्म के उदय के बिना अपने को सहने का प्रसंग नहीं आता' यह नियम है । अतः इस समय दूसरे को दोष देना निरर्थक है। उलटे, वहाँ अपने निर्धारित कर्मो का उदय तो सहना ही पडता है, वरन् तदुपरांत दूसरे को दोष देने से कषाय उत्पन्न होता है, बुद्धि विकृत होती है, फलतः नये कर्मों से दंड़ित होना पड़ता है।
मानभट को पकड़ने के लिए :. भीलकुमार का खून होते ही शोर मचा कि 'पकड़ो, पकड़ो उस मानभट को,' और लोग दौडे, लेकिन मानभट तो कभी का भाग निकला है, सो भागता हुआ उज्जयिनी में न रहकर सीधा बाहर निकल कर अपने गाँव की ओर दौड़ा जा रहा है। उसे भय तो है कि पीछे से कोई आकर पकड़ लेगा तो? किंतु वह ऐसे गली कूचों की राह से बाहर निकल कर इतने वेग से भागा जा रहा है कि पीछा करनेवालों को उसे पकड़ने में देर हो जाती है।
साहस में मूढ़ता :
मानभट अपने घर पहुँच कर शान्त कैसे बैठ सकता है ? अभी पक्का डर है कि उस भील के आदमी अथवा अन्य लोग यहाँ आ पहुँचेंगे तो? अतः वह घबराया हुआ है। आवेश में साहस कर डालने के बाद कितनी सारी अस्वस्थता तथा आकुल-व्याकुलता पैदा होती है? तो फिर मनुष्य क्या देखकर साहस करता होगा? परन्तु कहिये कि साहस उसी का नाम है कि 'जिसमें बहुत सोचते बैठना नहीं होता, कि उसका क्या परिणाम होगा?' और एकाएक कर डालना होता है। खतरे का विचार नहीं होता। 'दिमाग तो मिला है, लेकिन उसका उपयोग खतरे का विचार करने में, या भावी परिणाम की संभावना का खयाल करने में नहीं करता, बल्कि आवेश को बहकाने में करता है।' इस मोह का जगत के पामर जीवों पर कितना गहरा प्रभाव है ? सोचने का साधन मिला है, परन्तु उसका अनुचित उपयोग यह कर्म के द्वारा जीवों की भीषण विटंबना है। क्या दिमाग, और क्या अन्य साधन-मोह-मूढता का यह प्रभाव है कि उनका सदुपयोग न करने दे? (मानव-भव, धन, बद्धि आदि का क्या उपयोग ? :
बोलिये ! क्या मानव भव स्वयं एक उच्च साधन नहीं ? अवश्य है। उसका सदुपयोग तीर्थंकर भगवान् के वचनों पर अटल श्रद्धा, मैत्री-भाव, दुःखियों के प्रति करुणाई हृदय, गुणानुराग, गंभीरता, उदारता, जिनभक्ति, साधुभक्ति, व्रत नियम-आदि को प्रधानता देकर उनके आधार पर मन-वचन-काया की प्रवृत्ति करने में हो सकता है न? परन्तु मूढता इस साधन का कैसा उपयोग करवा रही है ? कितना विपरीत उपयोग!
इसी तरह अच्छी खासी दौलत मिली; यह दौलत क्या अब पाप-व्यापार से निवृत्ति
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