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मोहदत्त इस प्रकार एकदम कैसे तैयार हो गया ? धर्म की बात आने पर आप कहते हैं न कि धर्म में धीरे-धीरे चढा जाता है। तो यह तो एकदम से छलांग मारने को तैयार हुआ है । इसीलिये कि उसने भयंकर कृत्य किये हैं । आपको लगेगा कि 'उसने ऐसे काम किये हैं, इसीलिये तैयार हो गया ! परन्तु हमने तो ऐसे कोई भयंकर कृत्य नहीं किये !' परन्तु ऐसा कहने से पहले आप यह तो सोचिये कि शायद इस जन्म में आपने ऐसे पाप न किए हों, परन्तु क्या आप अपने पूर्वजन्मों का इतिहास जानते हैं कि वहाँ कैसे-कैसे अधम कृत्य नहीं किए होंगे ! पूर्व भवों के अधम कृत्यों के भी हिसाब चुकाने हों, तो यहाँ दस प्रकार के यतिधर्म की छलांग की ही ज़खत है ।
मोहदत्त को लगा कि 'मैं घोर पापात्मा हूँ; परन्तु इन महात्मा का कहा मानकर दस प्रकार के क्षमा- ब्रह्मचर्यादि का पालन करूँ, तो मेरे घोर पाप भी नष्ट हो सकते हैं। तो फिर मैं विलंब क्यों करूँ ?'
प्रश्न :- परन्तु ऐसे ऊँचे धर्म में एकदम कैसे छलांग लगायी जा सकती है ? थोडेथोडे धर्म के पालन के अभ्यास के बिना उच्च कोटि के धर्म का पालन कैसे संभव हो सकता है ?
उत्तर :- यह तो बताईये कि यह संभव न होने का कारण क्या ? यही न कि बहुत कष्टमय मार्ग है, इसलिये अभ्यास के बिना एकदम ऐसे कष्ट कैसे उठाये जा सकते हैं ? परन्तु आप यह देखिये कि संसार में कोई ऐसी आजीविका आदि की भारी चिन्ती पैदा हुई हो या कोई धन आदि का लालच उपस्थित हुआ हो, अथवा लूटेरे, हत्यारे का भय उपस्थित हुआ हो अथवा बदनामी का डर हो, तो इस चिन्ता या भय का निवारण करने के लिए या बडे लालच का पोषण करने के लिए कैसे-कैसे भारी कष्ट एकदम नहीं उठाते ? वहाँ कहाँ धीरे-धीरे कष्ट का अभ्यास डालने के लिये रुकते हैं ?
कुछ उदाहरण :
(१) घर की तीसरी मंजिल पर सोये हुए थे इतने में शोर मचा कि घर को आग लगी है। आग दूसरे मंजले तक पहुँच गयी है। तो क्या पहले धीर-धीरे कूदने का अभ्यास करने के लिये बैठे रहा जाता है या एकदम से छलांग मारी जाती है ?
(२) जंगल में शोर मचा कि पीछे मे लूटेरे आ रहे हैं, तो क्या धीरे-धीरे दौडने का अभ्यास किया जाता है या एकदम तेजी से दौडकर किसी सुरक्षित स्थान में पहुँच जाते हैं ?
(३) दिवाला निकल गया। एकदम कंगाल बन गये। सारे परिवार के लिये दो जून की रोटी जुटाने का प्रश्न उपस्थित हुआ । नौकरी के कष्टों का अनुभव नहीं है, तो क्या धीरे-धीरे उसका अभ्यास हो, वहाँ तक बैठे रहते हैं या भारी से भारी कष्टप्रद नौकरी या मजूरी भी स्वीकार लेते हैं ?
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