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कल्याणकारके
तिल का तेल मिलाकर अच्छी तरह मर्दन [ घोट ] कर लोहे के पात्र में भर दे और उसे धान्य की राशि में चार महीने तक रखें अर्थात् गाढ दें । पश्चात् उसे निकाल कर भगवान् की भक्ति भाव से पूजा कर के बालों पर लेप करें एवं बादमें त्रिफला के काढे से धो डाले । वे चंद्रके समान रहनेवाले सफेद बाल भी क्षणमात्रा से ही मेघ [ बादल ] व भ्रमर के समान काले हो जाते हैं। इसी योग को शुद्धकांतलोह के भस्म के साथ तैयार कर के खावे और साथ सदाचरण का पालन करें ॥ ८८ ॥ ८९ ॥
केशकृष्णीकरणपर लेप. मृवस्थीनि फलानि चूततरुसंभूतानि संगृह्य सं । चूायस्कृतकोलजैः पलशतं तैलाढके न्यस्य तै-॥ रत्रैव त्रिफलाकषायमपि च द्रोणं घटे संस्कृते ।
पन्मासं वरधान्यकूपनिहितं चोक्तक्रमाल्लेपयेत् ॥९०॥ .. - भावार्थ:--मृदुगुठलियों से युक्त आम के फल, ( कच्चा आम-क्यारी ) लोह चूर्ण, बेर, इन को समभाग लेकर चूर्ण करें। इस प्रकार तैयार किये हुए सौ पल चूर्ण को, एक आढक तिल के तैल व एक द्रोण त्रिफला के क'ढे में अच्छी तरह से मिला कर एक [ घी व तेल से ] संस्कृत [ मिट्टी के ) घडे में भरे और इस घडे को छह महीने तक धान्य राशि में गाढ दें। उसे छह महीने के बाद निकाल कर पूर्वोक्त क्रम से लेप करे तो सफेद बाल काले हो जाते हैं ॥९०॥
___ केशकृष्णीकरण तृतीय विधि. भृगायस्त्रिफलाशनैः कृतमिद चूर्ण हितं लोहित- । एवं च त्रिफलभिसा त्रिगुणितेनालोड्य संस्थापितम् ॥ प्रातस्तज्जलनस्यपानविधिना समर्थ संलेपनैः ।।
केशाः काशसमा भ्रमभ्रमरसंकाशा भवेयुः क्षणात् ॥ ९१ ॥ भावार्थ:---' भांगरा, लोहचर्ण, त्रिफला, इन को समभाग लेकर चूर्ण करे और इसे तिगुना त्रिफला के कषाय में घोल कर (डे में भर कर धान्य राशि में ] रखें, इस प्रकार साधित औषधि के द्रव का प्रातःकाल उठ कर नस्य लेवे, पीवे, केशों पर मर्दन व लेप करे तो, काश के समान रहनेवाले सफेद बाल क्षणक ल में भौरों के समान काले हो जाते हैं ॥ ९१ ॥ १ १ सत्रि के समय लेप कर व सुबह धो डाले । २ कीया इति पाठातरं,
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