Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 12
________________ कल्प० ॥४॥ + | लोगाहिवई बत्तीसविमाणसयसहस्साहिवई एरावणवाहणे सुरिंदे अरयंबरवत्थधरे आलइअमालमउडे नवहेमचारुचित्तचंचलकुंडलविलिहिज्जमाणगल्ले महिड्डिए महजुइए महाबले महायसे महाणुभावे महीसुक्खे भासुंरबुंदी पलंबवणमालधरे सोहम्मे कप्पे सो|हम्मवर्डिस विमाणे सुहम्माए सभाए सक्कंसि सीहासणंसि, से णं तत्थ बत्तीसार विमा - णवाससयसाहस्सीणं, चउरासीए सामाणिअसाहस्सीणं, तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं, चउन्हं लोगपालाणं, अट्ठण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिन्हं परिसाणं, सत्तण्हं अणी आणं, सत्तण्हं अणीआहिवईणं, चउण्हं चउरासीएं' आयरक्खदेवसाहस्सीणं, अन्नेसिं च बहूणं सोहम्मकप्पवासीणं वेमाणिआणं देवाणं देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाहयनट्टगीयवाइअतं १ वर्डस १-२ णं बारसो ॥ ४॥ 7.

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