Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 10
________________ कल्प० कल्लाणा सिवा धन्ना मंगल्ला सस्सिरिआ आरोग्गतुट्ठिदीहाउकल्लाणमंगलकारगाणं, तुमे रसो देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, तंजहा-अत्थलाभो देवाणुप्पिए ! भोगलाभो देवाणुप्पिए ! पुत्तलाभो देवाणुप्पिए ! सुक्खलामो देवाणुप्पिए ! एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए ! नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाणं राइंदिआणं विइक्वंताणं सुकुमालपाणिपायं अहीणपडिपुन्नपंचिंदियसरीरं लक्खणवंजणगुणोववेअं माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसवंगसुं-3 दरंगं, ससिसोमाकारं कंतं पिअदंसणं सुरूवं देवकुमारोवमं दारयं पयाहिसि ॥८॥ हा सेविअ णं दारए उम्मुक्कबालभावे विन्नायपरिणयमित्ते जुवणगमणुपत्ते, रिउवेअ-ज-13 उक्वेअ-सामवेअ-अथव्वणवेअ-इतिहासपंचमाणं निघंटुछट्ठाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं , चउण्हं वेआणं सारए पारए धारए, सडंगवी, सद्वितंतविसारए, संखाणे सिक्खाणे सि-2॥३॥ क्खाकप्पे वागरणे छंदे निरुत्ते जोइसामयणे अन्नेसु अबहुसु बंभण्णएसु परिवायएसु नएसु

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