Book Title: Kalpsutram Author(s): Bhadrabahuswami, Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund View full book textPage 8
________________ CASTO बारसो ॥ २ ॥ दामाहणी सयणिजंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ इमेआरूवे उराले कल्लाणे सिवे धन्ने | मंगल्ले सस्सिरीए चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा, गये-वसह-सीहअभिसेरों-दाम-ससि-दिणयर-झयं-कुंभं । पउमसर-सागर-विमाणभवणे-रयणुच्चय -सिहिं चें ॥१॥॥४॥तएणं सा देवाणंदा माहणी इमे एयारूवे उराले कल्लाणे सिवे || धण्णे मंगल्ले सस्सिरीए चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा समाणी, हट्ठतुट्ठचित्तमादिआ पीअमणा परमसोमणसिआ, हरिसवसविसप्पमाणहियया, धाराहयकलंबुर्ग पिव । समुस्ससिअरोमकूवा सुमिणुग्गहं करेइ, सुमिणुग्गहं करित्ता सयणिजाओ अब्भुटेइ, | अब्भुट्टित्ता अतुरिअमचवलमसंभंताए अविलंबिआए रायहंससरिसीए गईए, जेणेव / ॥२॥ उसभदत्ते माहणे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उसभदत्तं माहणं जएणं विजएणं वद्धा-8 १-२ कयंबपुष्फगंपिवPage Navigation
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