Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 6
________________ कल्प गब्भाओ गम्भं साहरिए २ हत्थुत्तराहिं जाए ३ हत्थुत्तराहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ। बारसो ॥ १॥1 अणगारिअं पवइए ४ हत्थुत्तराहि अणते अणुत्तरे निवाघाए निरावरणे कसिणे पडि पुन्ने केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने ५ साइणा परिनिछुए भयवं ६॥२॥ तेणं कालेणं तेणं । समएणं समणे भगवं महावीरे जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे आसाढसुद्धे । तस्सणं आसाढसुद्धस्स छट्ठीपक्खेणं महाविजयपुप्फुत्तरपवरपुंडरीयाओ महाविमाणा ओ वीसंसागरोवमट्ठिइयाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता है इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्डभरहे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए विइक्वंताए १ सुसमाए समाए विइक्वंताए २ सुसमदुसमाए समाए विइकंताए ३ दुसमसुसमाए समाए बहुविइकंताए-सागरोवमकोडाकोडीए बायालीसवा ॥१ ॥ RECASTEG44 १-३ साए

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