Book Title: Jyotirvignan Shabda Kosh
Author(s): Surkant Jha
Publisher: Chaukhambha Krishnadas Academy

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Page 540
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पृष्ठाङ्काः १४३ ५२८ अकारादिशब्दाः वर्तेयाताम् वर्तेरन् वर्त्मन् वर्द्धकि वर्द्धमान वर्द्धमानतनु 'वर्धयत:' वर्धयति वर्धयन्ति वर्धयते वर्धयन्ते १५, १५, १५ १४ १४३ वर्धयेत् वर्धयेत १४ वर्धयेताम् १९७ ज्योतिर्विज्ञानशब्दकोषः पृष्ठाङ्काः । अकारादिशब्दाः १७५ वर्षमुखायुस् १७५ वर्ष १, १२३ वर्षलग्न १३९, १९८ वर्षलग्नेश १३८ | वर्षा ४३ | वर्षाकाल १७२ वर्षाङ्ग १७२ | वर्षाद्य १७२ वर्षाद्यायुष् १७२ | वर्षाधान्यादि १७२ | वर्षावसान १७२ | | वषांश १७२ | वर्षांशक १७२ 'वर्षेत' १७२ वर्षेत १७२ | वर्षेते | वर्षेताम् १७२ | वर्षेयाताम् ४३ | वर्षेयुः २५४ वर्षेरन् २२३ वर्षेश १६, ६८, २३८ वर्षेशबल १४ | वर्षेशादिबल ९७ | वष्मान् २३८ वर्हिरथ १९७ वलक्ष १९७वलक्षकर १९७ वलक्षगु १९७ वलक्षगुपत्र १९७ वलक्षपक्ष १४ | वलक्षभानु १९७ १७२ वर्धयेते वर्धयेयाताम् वर्धयेयुः वर्धयेरन् वर्धिष्णु वर्य वर्वट १९७ १९७ १९७ वर्ष १९७ १९७ १४२ १४२ १४२ १२१, २२४ २१० ३, ४२ वर्षकोश वर्षगण वर्षण 'वर्षतः' वर्षति वर्षन्ति वर्षते वर्षन्ते वर्षमुख ४० ३९ XE १३ For Private and Personal Use Only

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