Book Title: Jyotirvignan Shabda Kosh
Author(s): Surkant Jha
Publisher: Chaukhambha Krishnadas Academy

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Page 581
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४४ १८ २१३ ० अकारादिशब्दानुक्रमणिका ५६९ अकारादिशब्दाः पृष्ठाङ्काः | अकारादिशब्दाः पृष्ठाङ्काः श्रेणि २५४ | श्वशुर=(पत्नीपिता) श्रेयस् ३१, ३१ श्वश्रू (पत्नीमाता) श्रेयास २०६ श्वस् श्रेष्ठ ३१, ३१, ३१, २५४, २५५ श्वसनाशन २२३, २४४ श्रेष्ठबल ३१ श्वसनोत्सुक २२३ श्रेष्ठबलाधिशालिन् ३१ श्वसित २४४ श्रेष्ठमुनि २५६ श्वसीति श्रेष्ठवीर्य ३१ श्वस्तन श्रोणा | श्वान १३५ श्रोणि २५३ | श्वास (शरीरस्थवायुविशेष:) श्रोतव्य (श्रवणीयः) श्वासहेति १३९ श्रोतस् श्वेत १४, ४२, ४९, ५६ श्रोत्र ७, १२१ श्वेतक २२९ श्रौताधान=(वेदविहितक्रियारम्भ:) श्वेतकपर्दक ६० श्रौत्र=(वेदविहितकर्म) श्वेतकिरण श्लक्ष्ण २५३ श्वेतकेतु श्लथ (शिथिलम्) श्वेतगज २३७ श्लाघा-(प्रशंसा), श्वेतगरुत् २१५ श्लाघ्य (प्रशंसनीयः) श्वेतगु ३८ श्लेषा श्वेतद्युति श्लेष्मन् (धातुविशेष:) श्वेतद्विप २३७ श्व:श्रेयस श्वेतधामन् ३९ श्वचक्र-(वाराह्यांपश्य) श्वेतनील २३८ श्वदयित श्वेतपक्ष श्वेतपद्मबन्धु (चन्द्रः), श्वनिश | श्वेतपिङ्ग २३१ श्वनिशा श्वेतभानु श्वेतरथ श्रवयथु (शोथ:) श्वेतरुचि श्वयीचि (चन्द्र) श्वेतरोचिस् श्ववृत्ति (सेवा) श्वेतवाजिन् EEEEEEEEEEESEA4AFFE 34: ॥ ه ه २१५ ४१ س مر مر به For Private and Personal Use Only

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