Book Title: Jyotirvignan Shabda Kosh
Author(s): Surkant Jha
Publisher: Chaukhambha Krishnadas Academy

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Page 614
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पृष्ठाङ्काः १४३ १४३ ११६ w. १४७ १४७ २४६ २५७ १२२ २५३ २५७ P १०६ १४३ ६०२ ज्योतिर्विज्ञानशब्दकोषः अकारादिशब्दाः पृष्ठाङ्काः । अकारादिशब्दाः स्पर्धा (संघर्षणम्), स्पष्टाशुभ स्पर्ध्य २५४ स्पष्टाश्रयगुणक स्पर्श ११६, १४७, २४४ स्पार्शिकग्रसन स्पर्शकाल ११६ स्पार्शिकग्रास स्पर्शग्रहण ११६ स्पार्शिका (स्थिति:), स्पर्शन २५१, २४४ स्पार्शिकी (स्थिति:), स्पर्शसमय=(समयविशेष:) स्पृश् स्पर्शस्थिति स्पृष्टि स्पर्शित (प्रतिपादित:) स्पृहा स्पष्ट १०४ स्फरण स्पष्टक्रान्ति स्फाति स्पष्टखग १०५ | स्फार स्पष्टगति स्फारण स्पष्टगुणक स्फिच्=(कटिप्रोथः), स्पष्टग्रह स्फिर स्पष्टचलकर्ण स्फुट स्पष्टद्राक्कर्ण १०३ स्फुटक्रान्ति स्पष्टबाण | स्फुटरवग स्पष्टभुक्त १४४ स्फुटगुणक स्पष्टभुक्ति १०६ स्फुटग्रह स्पष्टभोग्य स्फुटचलकर्ण स्पष्टमन्दकर्ण | स्फुटतिथ्यवसान स्पष्टमृदुकर्ण | स्फुटद्राक्कर्ण स्पष्टशर | स्फुटबाण स्पष्टशीघ्रकर्ण | स्फुटभुक्त स्पष्टशुभ १४३ स्फुटभुक्ति स्पष्टस्मृति २५७ | स्फुटभोग्य स्पष्टवर्क १४४ स्फुटमृदुकर्ण स्पष्टापम | स्फुटमृन्दुकर्ण स्पष्टार्क १०५ स्फुटरवि स्पष्टाशुकर्ण १०३ | स्फुटशर २५३ ११५ SWAMKm १०४ ११० १०५ १४३ १०५ १०३ ११५ १०३ ० ११५ १४४ १०६ १४४ १०३ १०३ १०५ ११५ ११० For Private and Personal Use Only

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