Book Title: Jyotirvignan Shabda Kosh
Author(s): Surkant Jha
Publisher: Chaukhambha Krishnadas Academy

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Page 620
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६०८ ज्योतिर्विज्ञानशब्दकोषः पृष्ठाङ्काः । अकारादिशब्दाः ४९ | हरेरन् १३९ | हर्तव्य | हर्म्य अकारादिशब्दाः हरिद्रासदृश हरिद्रू हरिद्वाजिन् हरिद्वाहन पृष्ठाङ्काः १७४ ९२ १३८ २६, २४६ हर्यक्ष हरिद्वष् سه हर्य्यर्च्य=(बृहस्पति:) हर्यश्व हर्शल २१७ سه ته हरिद्धय हरिदश्व हरिदिश् हरिदेव हरिप्रिय=(ब्राह्मण:) हरिप्रिया ३१, ५५ ३१, १२२ १०, २४१ १३० हर्षण हर्षबल २१७ | हर्षुल ४५ مه हरिबाहू हल 39 २२५ २२५ २२५ २२५ हरिमत् हरिमन्थक हरिवर्त्मचर हरिवह्मचारिन् हरिवल्लभा हरिवाहन हरिशयन्येकादशी हरिस्वसृ हरिहय हरिहर हरीज्य हरीड्य हलधर २०२ | हलभृत् | हलायुध हलिन् २१७ हलिप्रिया २२२, २१७ हव | हवन २३८ | हवनीय २१७ हवित्री ९९ | हविर्गृह ४७ | हविगेंह ४७ | हविर्भवन २०२ | हविर्भुज १७३ | हविरशन १७४ हविस् १७३ १७४ हव्यपाक १७४ | हव्यभुज् १७३ | हव्ययोनि २२५ २४४ २०१, २३९ २०१, २३९, २४१ २०१ २४१ १३८ १३८ १३८ 'हरेणु' हरेत् हरेत २३९ २०१ २०१, २३३ २४१ हरेताम् हव्य हरेते हरेयाताम् हरेयुः २३९ २३९ For Private and Personal Use Only

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