Book Title: Jyotirvignan Shabda Kosh
Author(s): Surkant Jha
Publisher: Chaukhambha Krishnadas Academy

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Page 595
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५८३ पृष्ठाङ्काः ९२, १४७ १४६ १३४, ११६ अकारादिशब्दाः सम्पूजित सम्पृक्त सम्प्रति सम्प्रदिष्ट सम्प्रधान (सम्मुख्य:) सम्प्रयोग सम्प्रहार २२० १२४ १३८ सम्प्राप्त सम्प्राप्तबल सम्पाप्ति | सर ३०, १९९, २४४ २१५ २२२ सम्प्राप्य सम्प्रेक्ष्य सम्प्रोक्त सम्व सम्बन्ध सम्बन्धिन् सम्वर=(दैत्यविशेष:) संवरारि सम्बल अकारादिशब्दानुक्रमणिका पृष्ठाङ्काः | अकारादिशब्दाः ४९ | सम्मिल्य १४६ सम्मिश्र | सम्मीलन १४७, १४५ | सम्मेल्य सम्मोहन १४० सभ्राज् (चक्रवर्ती) सम्राड्भवन १४६ सयोनि (इन्द्रः) ३० १२५ सर:काक ९३, १४७ सरणि १४५ सरण्ड २४९ सरण्यु २१७, २३८ सरण्यूजानि सरण्यूभर्तृ १४७ सरयु १२२ सरस् १२३ | सरस २१७ सरसिज २०० सरसी सरसीज २४९ सरसीरुह २०० सरसीरुहकानननायक १९९ सरस्वत् २४४ । सरस्वती १४० | सरस्वतीपूजन सरस्वतीश सरासन १४७ ३४ २४४ २१७, २२१ १९९ ३६ १९९ २६९ सम्भव सम्भण्य २४९ ३६ ३४ २१८ २२, ४८, २४४ २२ सम्भाष्य सम्भूत सम्भूति सम्भृत सम्भोग सम्मत (स्वीकृत:) सम्मति (स्वीकृति:) सम्मद सम्मित सम्मिलित (संयुक्तम्) ४८ १०४ २३३ सरि २५४ .१९९, २४४ सरित् सरितांपति २१८ ३८ ज्यो.वि.शब्दकोष For Private and Personal Use Only

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