Book Title: Jyotirvignan Shabda Kosh
Author(s): Surkant Jha
Publisher: Chaukhambha Krishnadas Academy

View full book text
Previous | Next

Page 609
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५९७ पृष्ठाङ्काः अकारादिशब्दानुक्रमणिका पृष्ठाङ्काः | अकारादिशब्दाः १४० सूरज १३८ सूरसूत १४० ५२ २४१ १४० सूरसूत सूरि १४ अकारादिशब्दाः सूतिकागार सूतिकागृह सूतिकागेह सूतिकाभवन सूतिकावास सूतिकास्नान सूतिक्वाथ सूतिगृह सूतिपथ्य सूतिमास् सूतिमास सूतिस्नान सूत्थान सूत्रशास्त्र सूत्रामन् सूद-(सूपकार:) सूदशाला सूत १३४ सूर्य १४ १४० २२ | सूर्यजा १४० २५५, ४७ १३४ | सूर्प=(प्रस्फोटनम्) १३४ सूर्पकर्ण २३२ | सूर्पश्रुति २३२ २३, ३१, ३२, ५३ सूर्यकान्ता २६७ सूर्यकिरणलुप्त १०७ सूर्यक्रान्त २०९ | सूर्यगृहिणी २६७ | सूर्यग्रहण ११५ २१७ | सूर्यजा ३६, २२५ ३६, २०८ | सूर्यद्वय २२१ / सूर्यपितृ ३२, ४५ | सूर्यपुत्र ५५, १२२ | सूर्यप्रणयिनी २६७ | सूर्यप्रविष्ट १०७ | सूर्यप्रियतमा (संज्ञा) ३१ | सूर्यभ्रातृ २३७ १२३ | सूर्यमन्दकेन्द्र १०५ १८० सूर्यमयूरवलुप्त १०७ १८० | सूर्यमूर्ति २२८ १८० | सूर्यमृदुकेन्द्र १८० | सूर्यरमणी (संज्ञा) | सूर्यलुप्तकिरण १०७ १८० सूर्यलोक ३६ ३२ | सूर्यवधू (संज्ञा) सून ५२ ५२ सूनुपुत्र सूनुसूनु सूनृत सूप 'सूयते' सूयन्ते १०५ सुयेत सूयेते सूयेयाताम् सूयेरन् १८ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628