Book Title: Jyotirvignan Shabda Kosh
Author(s): Surkant Jha
Publisher: Chaukhambha Krishnadas Academy

View full book text
Previous | Next

Page 603
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५९१ पृष्ठाङ्काः अकारादिशब्दानुक्रमणिका पृष्ठाङ्काः | अकारादिशब्दाः ४१ सुकृतगगनवास सुकृतग्रह सुकृतवियच्चर सुकृतव्रत सुकृतेतर सुकेशी अकारादिशब्दाः सिन्धुनन्दन सिन्धुभव सिन्धुमित्र सिन्धुर सिन्धुरवैरिन् (सिंह:), सिन्धुरवैरिराशि सिन्धुवृष सिन्धुसुत सिन्धूत्थ सिन्धोर्मित्र सिप्र सिप्रग्रह सिरामूल=(नाडीविशेष:) ३१, १२२ ७५ १३९ २३०, २४३ २४३, २४४ 'सी' २०१ १३३ ३५ २३२ २३२ सुखंघुण सुखंसुण ३८ | सुख सुखग सुखभाव सुखसुप्तिका सुखा | सुखाश सुखेट सुखोत्सव १३३ | सुगन्धि १३३ सुगन्धिक १३३ सुग्रह २६, २०५ सुग्रव १३३, १३३ सुग्रीवपितृ १३९ सुग्रीवसू २१० सुजल १३९ | सुजातकविद् २२५ सुतनु सीत्य सीमन्त सीमन्तकर्मन् सीमन्तविधान सीमन्तारव्य सीमन्तिनी सीमन्तोनयन सीमाक सीमाख्य सीमिक ३० ३५, ३५, २२७ ३४ २६१ ३६ २५६ ४५, १२२ २०५ सीर सुत सीरपाणि सीरिन् सुतल २२३ ९० सुकर्मन् सुकवि सुकृत सुकृतगमनचारिन् ५० ३०, ३१ सुता सुताडित सुत्रामन् सुदमात्मजा २१७ ३० २०४ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628