Book Title: Jyotirvignan Shabda Kosh
Author(s): Surkant Jha
Publisher: Chaukhambha Krishnadas Academy

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Page 585
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संहर्ष २४४ संस्क्रिया ३४ अकारादिशब्दानुक्रमणिका ५७३ अकारादिशब्दाः पृष्ठाङ्काः | अकारादिशब्दाः पृष्ठाङ्काः संसर्पसंज्ञक १४ संसार=(भव:), संहार १८, १८ संसारगुरु २२० | संहित १४६ संसारमार्ग=(योनि:), संहिता=(बृहत्संहिताद्या) २११ संस्करण=(आवृत्तिः संस्कारो वा) संहिताशास्त्रज्ञ २५७ संस्कार १६३, ९८, ११७ | संहिताशास्त्रवेत्तृ २५७ संस्कृत (देववाङ्), सकल ८९, २१४ संस्कृति ११७ सकलग्रह ११७ | सकलग्रहण (खग्रासग्रहणम्), संस्तर २०१ सकललोकचक्रवालचक्रवर्तिन् संस्त्याय २०३ | सकलाभिराममूर्ति ४३ संस्थ १४६ सकृत्=(एकवारम्), संस्था . २०१, १४६ | सकृत्प्रज २३२ संस्थाख्य २०९ सक्त १४६ संस्थान १२४ सखण्ड संस्थापन (स्थापनविशेष:), सखण्डल ८९ संस्थित |सखि ३७, १२२, १४६ संस्थिति | सख्य १२७, २२१ संस्पर्श १४७ | सगर २२६ संस्फेट | सगर्थ्य १२२ संस्फोट १२४ | सगर्व=(गर्वयुक्तः), संस्मरणीय २५० | सगोत्र ३७, १२२ संस्मर्तव्य २५० सघन १४७ संस्मार्य सङ्कटा १४४ संस्मृत | सङ्कर्षण २२५ संस्मृति (संस्मरणम्) सङ्कलन ९० संस्मृत्य २५० | सङ्कलनीय संहत (संगुणित:), | 'सङ्कलयत:' संहति ९७ | सङ्कलयति १७० संहत्य ९३ | सङ्कलयन्ति १७० संहनन १२१, २२४ | सङ्कलयेत् १७० ८९ १४६ १४६ १२४ १७० For Private and Personal Use Only

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