Book Title: Jyotirvignan Shabda Kosh
Author(s): Surkant Jha
Publisher: Chaukhambha Krishnadas Academy

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Page 586
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | संख्यातु पृष्ठाङ्काः १६८ ७२ ९० ७२ १६८ १६८ १६८ २२० १६८ १६८ १६८ ५७४ ज्योतिर्विज्ञानशब्दकोषः अकारादिशब्दाः पृष्ठाङ्काः । अकारादिशब्दाः सङ्कलयेताम् १७० सङ्कलयेयुः १७० |संख्यातुमर्ह सङ्कलित संख्यान सङ्कलितव्य ९१ | संख्यान्ति सङ्कल्प (मानसकर्म) .९१ | संख्यान्तु सङ्कल्पजन्मन् २२० | संख्यानि सङ्कल्पभव |संख्याम सङ्कल्पयोनि संख्यायते सङ्कल्य=(सङ्कलनीयः) |संख्यायन्ते सङ्कष्टचतुर्थीव्रत २१ संख्यायेत सङ्कष्टहरचतुर्थी २४ | संख्यायेते सकाष २५४ संख्यायन्ते सङ्कीतित २४९ संख्यायेत सङ्कुचित |संख्यायेते सङ्कति २११ | संख्यायेयाताम् | संख्यायेरन् संक्रन्दनसचिव संख्यायोग्य संक्रम संख्याव संक्रमण |संख्यावत् संक्रान्त=(संक्रान्तिविशिष्टम्) 'संख्याहि' संक्रान्ति=(राश्यादिगोऽर्क:) संख्येय संक्रावात (झञ्झावात:) २५५ | सङ्ग संक्षोभित (अवस्थाविशेष:) सङ्गणय्य संख्य १२३ | सङ्गत संख्या २५०, ७१ सङ्गति संख्यात १६८, ७१ | सङ्गम संख्यातम् १६८, ७१ | सङ्गर 'संख्यातः' सङ्गव संख्यातात् १६८, १६८ | सङ्गिन् संख्याताम् १६८ | सङ्गुणन (संहननम्) संख्याति १६८ सङ्गुणनीय संक्रन्दन १६८ १६८ १६८ १६८ १६८ १६८ १६८ ७२ १६८ २५५, ७२ १६८ ७२, ७२ १४६ ९२ १२, १२७, १४६ १४६ १४६ १२४ १६८ १२ For Private and Personal Use Only

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